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बजट का असर

मुद्दा
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प्रतिष्ठित क्रेडिट रेटिंग एजेंसी केयर ने बजटीय प्रस्तावों का अध्ययन कर क्षेत्रवार इसके असर का आकलन किया है :


उपभोक्ता वस्तुएं

दो हजार रुपये से अधिक महंगे मोबाइल फोन पर एक्साइज ड्यूटी एक प्रतिशत से बढ़ाकर छह प्रतिशत की गई। इससे मोबाइल चार-पांच प्रतिशत अधिक महंगे हो जाएंगे। नतीजतन मोबाइल फोन की मांग पर बुरा असर पड़ेगा और कालाबाजारी को प्रोत्साहन मिलेगा।

निर्माण उद्योग

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी अन्य स्कीमों में आवंटन राशि बढ़ाने से इस क्षेत्र को लाभ मिलने की उम्मीद है। सरकार लगातार सस्ते आवास मुहैया कराने पर लगातार ध्यान दे रही है। इससे आधारभूत ढांचे के लिए दीर्घकालिक वित्त भी उपलब्ध होगा।


एफएमसीजी

सिगरेट पर एक्साइज ड्यूटी 18 प्रतिशत बढ़ाई गई है इससे इसके  दाम बढ़ेंगे। इस क्षेत्र में कोई अन्य प्रस्ताव नहीं होने के कारण कुल मिलाकर इस उद्योग पर खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।

ऑटोमोबाइल

10 हजार नई बसें खरीदी जाएंगी। इससे कमर्शियल वाहन उद्योग को मुनाफा मिलने की उम्मीद है। कृषि ऋण 5,75,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7,00,000 करोड़ दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में नकदी बढ़ेगी। नतीजतन टै्रक्टरों और दोपहिया गाड़ियों की मांग बढ़ेगी।

सीमेंट

यद्यपि रेल माल भाड़े में बढ़ोतरी के कारण प्रति बैग भाड़े की कीमतों में दो-चार रुपये की बढ़ोतरी होगी जिसका सीमेंट उद्योग पर बुरा असर पड़ेगा।

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उद्योगों पर पड़ेगा मिला-जुला असर

बजट में निवेश का माहौल बनाने का प्रयास किया गया है इससे कुछ सेक्टरों को अन्यों की तुलना में विशेष लाभ होगा। वित्त मंत्री के बजट से उद्योग जगत को साफ संदेश गया है कि यह उनके लिए ड्रीम बजट नहीं है। लेकिन, इसमें विनिर्माण उद्योग के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी यह है कि एक अरब रुपये से अधिक प्लांट या मशीनरी स्थापित करने पर 15 प्रतिशत का निवेश अलाउंस दिया जाएगा। निराशा के इस माहौल में यह एक बड़ा कदम है।


यदि क्षेत्रवार बजट का विश्लेषण किया जाए तो तेल कंपनियों को मसलन इंडियन ऑयल कारपोरेशन और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को लाभ मिलेगा क्योंकि वित्त मंत्री ने कच्चे तेल और ऑयल उत्पादों पर आयात ड्यूटी नहीं लगाई है। इसी तरह गैस क्षेत्र में नई नीति लाने और कीमत निर्धारण नीति में अनिश्चितता के बादल छांटने से केवल प्राकृतिक गैस उत्पादकों को ही लाभ नहीं मिलेगा बल्कि ऊर्जा और फर्टिलाइजर क्षेत्र को भी लाभ मिलेगा।


पहला घर खरीदने पर 25 लाख तक के होम लोन पर एक लाख की अतिरिक्त ब्याज बचत से एलआइसी हाउसिंग फाइनेंस जैसी कंपनियों को लाभ मिलेगा। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में भी उछाल आने की उम्मीद है।

एसयूवी गाड़ियों और सिगरेट पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से निर्माता कंपनियों पर आंशिक असर पड़ेगा। कमर्शियल गाड़ियों की चेसिस पर एक्साइज ड्यूटी 14 प्रतिशत से घटाकर 13 प्रतिशत करने पर टाटा मोटर्स और अशोक लीलैंड जैसी कंपनियों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा जवाहर लाल शहरी नवीकरण योजना के अंतर्गत 10 हजार नई गाड़ियों को खरीदने की योजना से भी इस क्षेत्र की कंपनियों को फायदा पहुंचेगा।


डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) के प्रतिकूल प्रभावों को हटाने से आइटी कंपनियों पर थोड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। टीवी के सेट-टॉप बॉक्स पर कस्टम ड्यूटी पांच से बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने से डीटीएच ऑपरेटरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। ऊर्जा उत्पादकों के लिए इस साल भी कर रियायतें बढ़ाई गई हैं। ब्रांडेड कपड़ों पर एक्साइज ड्यूटी की दर यथावत रखने से टेक्सटाइल सेक्टर के भी फलने-फूलने की उम्मीद है। कुल मिलाकर सरकार के वित्तीय सुधार के एजेंडे से उद्योग जगत को दीर्घकालिक लाभ मिलने की उम्मीद है।


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