Menu
blogid : 4582 postid : 2568

इन्हें है समय से पहुंचाने का जुनून

मुद्दा
मुद्दा
  • 442 Posts
  • 263 Comments

-अरविंद चतुर्वेदी (उप समाचार संपादक, दैनिक जागरण)
-अरविंद चतुर्वेदी (उप समाचार संपादक, दैनिक जागरण)

दृश्य एक

एक व्यक्ति को अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए ट्रेन पकड़नी है। समय कम है। ट्रेन छूटने का निर्धारित समय होने को है फिर भी वह व्यक्ति आश्वस्त दिख रहा है।


दृश्य दो

ट्रेन का समय हो चुका है। व्यक्ति की चिंता उसके माथे पर स्पष्ट देखी जा सकती है। उसे पता है कि ट्रेन अपने निश्चित समय से ही छूटेगी। सेकंड की भी लेटलतीफी यहां की रेलवे को पसंद नहीं है क्योंकि इन्हें यात्रियों को समय से पहुंचाने का जुनून जो है।

दृश्य एक का अंदाजा तो आप सहज ही लगा चुके होंगे। जी हां, सही सोच रहे हैं आप। यह है भारतीय रेल सेवा। राष्ट्र की जीवनरेखा। लेटलतीफी को इसने अपनी घोषित नीति बना रखी है। कोहरे वाले दिनों में कच्छप चाल से मंजिल तक सकुशल पहुंचने और पहुंचाने को इसने अपना मंत्र बना लिया है। इन्हें इसी बात पर संतोष है कि यात्रियों का समय कितना भी बर्बाद क्यों न हो, सभी सकुशल पहुंच तो रहे हैं। इस मंत्र के बूते रेलवे प्रशासन कोहरे और खराब मौसम संबंधी तमाम सुरक्षा इंतजामों से परहेज करता है। इसकी लेटलतीफी हमारे मानसिकता में घर कर गई है।  इसके पीछे भारतीय रेलवे की कार्यशैली काफी हद तक जिम्मेदार है। हम सब मानकर चलते हैं कि ट्रेन तो लेट ही होगी। लिहाजा अपने पास समय ही समय है।

Read:उड़नछू ट्रेनों की दुनिया में कहीं नहीं हैं हम


वहीं दृश्य दो में जापान रेलवे का चित्रण बताता है कि वह समय को लेकर कितने पाबंद हैं। दुनिया में कहीं भी ट्रेन की 60 सेकंड की लेटलतीफी को समय से पहुंचना माना जाता है, लेकिन जापान एक मात्र ऐसा देश है जहां इतने अंतराल को भी ट्रेन को देरी से पहुंचने में शामिल किया जाता है। लेटलतीफी की इसी परिभाषा के अनुसार यहां की 95 फीसद बुलेट ट्रेनें और 98 फीसद सामान्य ट्रेने समय से चलने को प्रतिबद्ध दिखती हैं। यह सिलसिला 1980 से लगातार कायम है। समय से पहुंचाने में शुमार यूरोपीय देशों की ट्रेनों में लेटलतीफी का मानक अलहदा है। जर्मनी और स्विट्जरलैंड में अगर कोई ट्रेन अपने निर्धारित समय से पांच मिनट या इससे अधिक देरी से पहुंचती है तो उसे लेट माना जाता है। इंग्लैंड में यह मानक 10 मिनट का है जबकि इटली और फ्रांस में यह समय 15 मिनट निश्चित है। यूरोपीय मानकों के अनुसार इंग्लैंड, फ्रांस और इटली की सभी 90 फीसद ट्रेनें अपने निर्धारित समय से चलती हैं। हालांकि भारतीय रेलवे भी अपने ट्रेनों की समयबद्धता का आंकड़ा 90 फीसद से ऊपर बताता है लेकिन इसमें एक तकनीकी पेंच है। भारतीय रेलवे ट्रेनों की समयबद्धता की गणना उनके सही समय पर गंतव्य स्थल तक पहुंचने के आधार पर करता है। लंबी दूरी की ट्रेनों में दर्जनों ऐसे स्टेशन आते हैं जहां ट्रेन काफी लेट रहती है और अंतिम गंतव्य स्थल पर निर्धारित समय पर यदि पहुंच जाती है तो उसे लेटलतीफी की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। आंकड़ों को दुरुस्त रखने वाली रेलवे की इस ‘चाल’ से ट्रेनों की चाल बढ़ती नहीं दिखती। बहरहाल वह पब्लिक भारतीय रेल की सभी सुविधाओं और सहूलियतों से वाकिफ है जिसने इसमें सफर किया है।

Read:विचार अभिव्यक्ति की मर्यादा



कितनी देरी है ‘लेटलतीफी’

देशनिर्धारित समय से देरी (मिनट में)

जापान1
जर्मनी5
स्विट्जरलैंड5
इंग्लैंड 10
इटली 15
फ्रांस 15


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh