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दैनिक जीवन में हों ईमानदार

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दैनिक जीवन में हों ईमानदार

हम अपने गणतंत्र पर गर्व तो कर ही सकते हैं। जब पड़ोसी देशों की हालत देखते हैं तो इतना सुकून तो मिलता ही है। यह अलग बात है कि आजादी के बाद देश की जनता गणतंत्र को समझने की कोशिश कर रही थी, लेकिन तत्काल ही सबकुछ धराशायी होने लगा। आज ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियां पैदा हो गईं कि लोग बुद्धि-विवेक की अवहेलना कर हर तरह से लाभ उठाने की फिक्र करने लगे हैं। पारंपरिक-सामाजिक व्यवस्था भी ध्वस्त होती जा रही है। हमारे देश का कड़वा सच यह भी है कि विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका स्वयं अपने कर्तव्य का सही ढंग से पालन नहीं कर रही हैं। यह किसी भी गणतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। इसका दूसरा पहलू यह है कि लोग हर बात के लिए सरकार को दोष देते हैं। पर, अपना दायित्व भूल जाते हैं। सरकार और संविधान ने हमें काफी अधिकार दिए हैं। इसलिए हमारा भी कुछ दायित्व देश और अपने गणतंत्र के लिए बनता है। ईमानदार होने के लिए, अपना काम ठीक से करने के लिए सरकार की सलाह की जरूरत तो नहीं है। हम अपने पास के माहौल को तो खुद ही बदल सकते हैं।

अशोक भगत

सामाजिक कार्यकर्ता, विकास भारती, विशुनपुर गुमला, झारखंड के सचिव


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कर्तव्यों के प्रति हों जागरूक


भारतीय संविधान ने हमें कई सशक्त अधिकार दिए हैं। इसके साथ ही देश के प्रति हमारे राजनीतिक, नैतिक व धार्मिक कर्तव्य भी जुड़े हुए हैं। दुर्भाग्य से लोग अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक नहीं हैं। शिक्षा पद्धति को मजबूत कर लोगों को उनके कर्तव्यों के प्रति शिक्षित किया जा सकता है। पुराने समय में लोग अपने कर्तव्यों पर ज्यादा जोर देते थे। अंग्र्रेजी शासन के वक्त ज्यादातर आंदोलन अधिकारों को लेकर हुए। दरअसल उस वक्त भारतीय को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया था। इन आंदोलन के माध्यम से वे अपने कर्तव्यों को ही पूरा कर रहे थे। मैंने ब्रिटिश का जमाना भी देखा है। उस वक्त की अनूभूति आज से ज्यादा बेहतर थी। राज करने वाले बाहर के थे, लेकिन हमारा समाज काफी सशक्त था। आज लोग हर मुद्दे पर कहते हैं कि कानून बनाओ। लेकिन बगैर अच्छे लोगों के अच्छा कानून कैसे बनेगा तथा कानून बनने के बाद उसका पालन सही कैसे होगा? इसके प्रति लोग क्यों नहीं सोचते। समाज में उत्कृष्ट सोच के लिए अच्छी शिक्षा जरूरी है। इसके लिए चाहिए कि स्कूल-कॉलेज से राजनीति को खत्म किया जाए। पढ़ाई-लिखाई पर जोर हो, शिक्षा का राज कायम हो।


मौलाना वहीदुद्दीन खान

इस्लामिक विद्वान


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समाज कल्याण पहला धर्म


आज समाज में इतनी गिरावट आ गई है कि उसे देख कर बहुत दुख होता है। लोग अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक नहीं है। सभी उम्मीदें सरकार पर छोड़ देते हैं। आज देश में जिस तेजी से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ा है उसके लिए समाज में लोग भी जिम्मेदार हैं। लोगों को मालूम है कि गंदगी को स्वच्छ  स्थान पर फेंकने से वहां गंदगी बढ़ेगी, फिर भी लोग ऐसा करने से खुद को रोक नहीं पाते हैं और वहां वातावरण को नष्ट करते हैं। आज पर्यावरण प्रदूषण व खान-पान के कारण चीजों में मिलावट होने से समाज का हर वर्ग परेशान है, लेकिन इसे ठीक कैसे किया जाए? इसके लिए समाज के लोग आगे नहीं आना चाहते हैं। जब तक समाज के लोग अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझेंगे तब तक न तो पर्यावरण प्रदूषण ठीक हो सकता है और न ही भ्रष्टाचार और दुष्कर्म जैसी घटनाओं में कमी आ सकती है। सरकारों का भी फर्ज बनता है कि वह पर्यावरण प्रदूषण को समाप्त करने के लिए ठोस उपाय करे। यह काम अकेले सरकार पर नहीं छोड़ा जा सकता है,इसलिए समाज के सभी लोगों का फर्ज है कि वह अपनी जिम्मेदारियों को समझें और समाज की भलाई वाले कामों के लिए आगे आएं।


संत बलबीर सिंह सीचेवाल

पर्यावरण विद


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आचार-विचार में देश की सोच


आदमी जो विश्वास करता है, वैसा ही करने की कोशिश करता है। वह अपने देश के लिए काफी कुछ कर सकता है। वाचाल न होकर देश को चलाने के लिए सभी को मिलकर नीति बनानी होगी और उस पर अमल करना होगा। नीति सकारात्मक हो, उसमें सभी की भागीदारी हो, इसी से कल्याण होगा। देश के विकास के लिए हमें उन मुद्दों पर सख्त नजर रखनी होगी, जो देश को पीछे धकेलते हैं। अपने व्यवहार में भी देश को तरक्की की राह पर ले जाने की बात झलके। हमारा व्यवहार देश के प्रति बलिदान व समर्पण का होना चाहिए। बलिदान का मतलब जीवन का त्याग करना नहीं, वरन वैसी बातों से है, जो हमारे कार्यों व व्यवहारों से देश व राज्य को प्रभावित करता है। वैसे नकारात्मक व्यवहारों को हमें त्याग करना होगा। मेरे हिसाब से इस गणतंत्र को बचाने के लिए आध्यात्म का भी सहारा लिया जा सकता है। देश के प्रति सोच को जागरूक करने के लिए हमें अपने मन के अंदर भी झांकने की जरूरत है। इसके लिए ऐसा कार्य देश के प्रति किया जाए जो देश के हित में हो। अपने जीवन का मूल्यांकन भी करें और अपनी पहचान को देश के साथ जोड़ते हुए कार्य करें।

डॉ बिशप नेलसन लकड़ा

मॉडरेटर, गोस्सनर एंवेनजिकल लूथरेन चर्च, रांची


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Tags:Republic of India, India Republic, India, Republic Day, गणतंत्र दिवस, भारत का गणतंत्र, भारत, राजानीति

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