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.ताकि मंजिल पर पहुंचें सकुशल

मुद्दा
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kuhasaआगाज

आगामी दो ढाई महीने तक पूरे उत्तर भारत की गतिविधि ठप करने वाले कोहरे की आहट देखी जा रही है। इस दौरान पूरे क्षेत्र में जनजीवन कैद हो जाता है। रफ्तार रुक जाती है। मिनटों का सफर घंटों में तब्दील हो जाता है। सड़क, रेल और हवाई सभी तरह के यातायात प्रभावित होते हैं। घने कोहरे के चलते दृश्यता इतनी कम हो जाती है कि हांथ पसारे भी नहीं सूझता। चिंता की बात यह है कि इस घातक कोहरे की प्रवृत्ति में साल दर साल बदलाव आ रहा है। पहले के मुकाबले न केवल कोहरे वाले दिनों की संख्या बढ़ रही है बल्कि इसका घनापन और अवधि में भी इजाफा दिखाई दे रहा है।


Read: पहले से बेहतर हुआ है हवाई सफर


असर

कोहरे के चलते व्यापक पैमाने पर होने वाले जान-माल के नुकसान के बावजूद आधुनिक और सक्षम तंत्र विकसित करने में सरकार की उदासीनता जगजाहिर है। सुरक्षित यातायात के लिए अपने यहां एक तो कानून कायदों की कमी है तो दूसरे जो हैं उनको सख्त तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है। कुसूरवार हम सब भी कम नहीं हैं। अंतत: सड़क या यातायात के किसी क्षेत्र में हुए हादसे से बड़ी क्षति हम सबकी ही होती है फिर भी यातायात नियमों के अनुपालन में गंभीरता नहीं दिखाते हैं। ऐसे में कोहरे के बहाने हर मौसम में सुरक्षित यातायात हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है, तो आइए थोड़े से सजग और जागरूक प्रयासों से सुरक्षित पहुंचे अपनी मंजिल पर।


अंजाम

सड़क दुर्घटनाओं में हताहत होने वालों की संख्या में हम दुनिया में शीर्ष पर हैं। हर साल इतनी बड़ी संख्या में लोगों को अन्य किसी एक वजह के चलते जान नहीं गंवाना पड़ता है। कोहरे की स्थिति में इन हादसों की प्रवृत्ति और आवृत्ति में वृद्धि हो जाती है। यातायात अवरुद्ध होने से अनुपलब्धता के चलते चीजें महंगी हो जाती है। उत्पादकता कम होने का खामियाजा हमारी अर्थव्यवस्था को चुकाना होता है। जिसका अंतिम असर हमारी जेब पर पड़ता है। लंबे जाम में ईंधन से प्रदूषण और आर्थिक नुकसान की दोहरी मार पड़ती है।


Read:सुरक्षित यातायात की चुनौती


सावधानी हटी, दुर्घटना घटी


देश में हर साल होने वाले करीब पांच लाख सड़क हादसों में करीब डेढ़ लाख लोग असमय मारे जाते हैं। पांच लाख लोग घायल होते हैं। दुनिया भर में ऐसे मामलों में मारे जाने वाले लोगों की संख्या 120 लाख से भी अधिक है जबकि घायलों की संख्या पचास करोड़ को भी पार कर जाती है। सड़क दुर्घटनाओं में प्रतिदिन पूरी दुनिया में करीब 6600 मौतें होती है और 3300 लोग गंभीर रूप से घायल होते हैं। एक अनुमान के मुताबिक इन दुर्घटनाओं के चलते दुनिया को सालाना 23000 करोड़ डॉलर की आर्थिक चपत लगती है। खराब मौसम में सड़क दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में आधुनिक तकनीक और थोड़ी सी सावधानी के इस्तेमाल से इतनी बड़ी जन-धन हानि को हर साल बचाया जा सकता है।


देश में हादसे

साल

2007

2008

2009

2010

2011


कुल हादसे

4,79,216

4,84,704

4,86,384

4,99,628

4,97,686


घातक हादसे

1,01,161

1,06,591

1,10,993

1,19,558

1,21,618


मारे गए लोग

1,14,444

1,19,860

1,25,660

1,34,513

1,42,485


घायल

5,13,340

5,23,193

5,15,458

5,27,512

5,11,394


कारण


चालक की गलती

पैदलयात्री की गलती

साइकिल चालक की गलती

सड़क की खराब दशा

वाहन की खराब दशा


मौसम की स्थिति


अन्य कारण

78.5 %

2.2 %

1.2  %

1.3  %

1.8  %

0.8  %

14.2 %

चौंकाने वाले तथ्य

ङ्क्त अभी हर छठे मिनट में भारतीय सड़कों पर एक व्यक्ति की मौत होती है। 2020 तक यह दर बढ़कर प्रति तीन मिनट होने का अनुमान है

ङ्क्तदुनिया में कुल वाहनों का एक फीसद वाहन भारत में पंजीकृत हैं जबकि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के मामले में हमारी हिस्सेदारी 9 प्रतिशत है

ङ्क्त नेशनल प्लानिंग एंड रिसर्च सेंटर के मुताबिक विकसित देशों की तुलना में हमारे यहां सड़क दुर्घटनाओं की संख्या तीन गुना अधिक है

ङ्क्त 1000 वाहनों पर दुर्घटनाओं का औसत भारत में 35 है जबकि विकसित देशों के लिए यह आंकड़ा 4 से 10 के बीच है

ङ्क्त विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सड़क सुरक्षा पर जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मारे जाने वाले लोग भारत से हैं

ङ्क्तभारत में सड़क दुर्घटनाओं के चलते होने वाला औसत आर्थिक नुकसान सात लाख करोड़ है। इसमें ऐसे दस लोगों से जुड़ा आर्थिक नुकसान शामिल नहीं है जो हर साल बड़ी दुर्घटनाओं में स्थायी रूप से अपंग हो जाते हैं

ङ्क्त इन दुर्घटनाओं में 85 प्रतिशत पीड़ित 20-50 साल आयु वर्ग के पुरुष होते हैं जो अपने परिवार में अकेले कमाई के स्नोत होते हैं

ङ्क्त इन दुर्घटनाओं को सामाजिक नुकसान यह होता है कि जहां परिवार अपने किसी चहेते परिवारीजन को खो देता है वहीं आय का साधन भी समाप्त हो जाता है। आय का दूसरा जरिया खोजना इसके लिए चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। आय खत्म होने से परिवार में बच्चों को पढ़ने की आयु में ही छोटे-मोटे काम करने को विवश करना पड़ता है और बुजुर्गों को भी आराम करने की आयु में काम करने की विवशता हो जाती है


छोटी पहल-बड़ा बचाव


ङ्क्त विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तैयार ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन रोड सेफ्टी में शामिल 178 देशों के सड़क हादसों के आंकड़े शामिल किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार पिछले दशक में विकसित देशों ने इन हादसों को कम करने में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। यह मुख्यत: सरकार के सक्रिय उपायों और कानून को सख्ती से लागू करके हासिल किया जा सका है। ऐसे किसी भी देश में जहां सरकार मूक बनी बगल में खड़ी समस्या को देखती रहती है, कोई भी सुधार असंभव है।


उदाहरण: केवल सीट बेल्ट लगाने से अगली सीट पर बैठे यात्रियों की मौत के खतरे को 40-65 फीसद कम करती है और पीछे बैठे लोगों की मौत की संभावना 25-75 फीसद कम हो जाती है। इसी तरह बच्चों के लिए विशेष सुरक्षा उपकरणों (शिुशु सीट, बच्चों की सीट और बूस्टर सीट) के इस्तेमाल से किसी दुर्घटना की स्थिति में इनकी संभावित मौत को 54 से 80 फीसद तक टाला जा सकता है।

ङ्क्त रिपोर्ट के अनुसार यद्यपि कि  सड़क सुरक्षा के लिए भारत में मूलभूत कानून मौजूद हैं लेकिन उन्हें लागू करने की प्रक्रिया बेहद कमजोर है। सीट बेल्ट लगाने वाले कानून के अमलीजामे को दस में से केवल दो अंक दिए गए हैं।

ङ्क्त मोटर साइकिल चालकों को हेल्मेट लगाने संबंधी नियम के लागू करने को भी दस में से दो अंक मिले हैं। शराब पीकर वाहन चलाने वाले कानून को लागू करवाने को दस में से तीन अंक मिले हैं। गति सीमा के लिए कानून है लेकिन इसे लागू करने को लेकर आंकड़े नदारद हैं। वाहनों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कानून ही नहीं मौजूद हैं। अगर सड़क दुर्घटनाओं को रोकना है तो सरकार को इन कानूनों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करना होगा

ङ्क्त देश में आठ प्रतिशत की दर से हर साल बढ़ने वाले हादसे यह जाहिर करते हैं कि सड़क सुरक्षा से जुड़े कानूनों को और व्यापक बनाए जाने की जरूरत है और उन्हें सख्ती से लागू करना अनिवार्य हो चला है

कोहरे में सावधानियां


ङ्क्तसंभव हो तो कोहरे में ड्राइविंग से बचें, अगर जरूरी हो तो सावधानी बरतें

ङ्क्त यात्रा से पहले मौसम का जायजा लें। यात्रा के दौरान भी इस पर नजर रखें

ङ्क्त दुर्घटना से देर भली कहावत को ध्यान में रखते हुए व्यस्त और छोटे रास्ते की जगह खाली, लंबे और ज्यादा सुरक्षित रास्ते को चुन सकते हैं। जीपीएस सिस्टम के इस्तेमाल से रास्ता भटकने से बच सकते हैं

ङ्क्त मौसम की खराब दशाओं में अपने वाहन को इस्तेमाल करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि उसके सभी उपकरण चालू हालत में होने चाहिए। विशेषकर लाइट्स, ब्रेक्स, टायर्स, विंडस्क्रीन वाइपर्स, रेडियेटर और बैटरी।

ङ्क्त जाम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त मात्रा में ईंधन रखें

ङ्क्त एक टॉर्च और हाई विजिबिलिटी जैकेट जरूर रखें। इससे न केवल आप देख सकेंगे बल्कि दूरी से देखे भी जा सकेंगे

ङ्क्त कोहरे के दौरान लाइट्स को लो बीम पर रखें। फॉग लैंप्स का इस्तेमाल करें।

ङ्क्त गाड़ी धीरे चलाएं और स्पीडोमीटर पर निगाह रखें। कोहरे के दौरान तेज गति में भी धीरे चलने का भ्रम होता है

ङ्क्त सड़क पर जिस ट्रैफिक को आप नहीं देख पा रहे हैं उसे सुनने का प्रयास करें। इसके लिए अपनी खिड़की थोड़ी सी खोल लें

ङ्क्त धैर्य से गाड़ी चलाएं। अपने आगे वाली गाड़ी के पीछे-पीछे चलें। दोनों के बीच एक निश्चित दूरी बनाएं रखें। ओवरटेक का प्रयास न करें।


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