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विदेश में चंदे के तौर-तरीके

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विदेश में चंदे के तौर-तरीके

दुनिया के कई देशों में राजनीतिक दलों को चंदा देने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए कई अहम प्रावधान किए गए हैं। यहां पर चंदा देने वाले कारपोरेट, ट्रेड यूनियन और वैयक्तिक स्तर पर वैधानिक सीमा लागू कर दी गई है। विदेश में चंदा लेने-देने की प्रक्रिया पर पेश है एक नजर :

अमेरिका: राष्ट्रीय चुनावी अभियानों में चंदा देने के संबंध में नियंत्रण किया गया है। एक नागरिक प्रत्येक चुनाव अभियान में एक हजार डॉलर से अधिक की राशि नहीं दे सकता। इसी तरह एक नागरिक साल भर में चुनावी अभियानों के लिए 25 हजार डॉलर से अधिक नहीं दे सकता। प्रत्याशियों की कमेटियों, राजनीतिक दलों की कमेटियों ओर राजनीतिक कार्यवाही कमेटियों (पीएसी) को प्राप्ति और खर्च के विषय में नियमित अंतराल पर रिपोर्ट देनी होती है। इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्शन सिस्टम के अनुसार प्रत्याशियों के पास उनको वित्तीय समर्थन देने वाले पीएसी और पार्टी कमेटियों की सूची होनी चाहिए। इसके साथ ही उनको सालाना 200 डॉलर से अधिक का चंदा देने वाले व्यक्तियों का नाम भी बताना होता है।


चंदे की चकाचौंध पर पारदर्शिता का पर्दा


ब्रिटेन: प्रमुख रूप से चंदा देने के तीन प्रमुख स्रोत हैं-सदस्यता, चंदा और सरकारी खर्चे पर चुनाव (स्टेट फंडिंग)। विवाद की मुख्य वजह यह है कि देश के राजनीतिक दलों पर आरोप है कि वे कुछ विशेष धनी दाताओं पर कुछ ज्यादा ही निर्भर हैं।


ऑस्ट्रेलिया: देश के निर्वाचन आयोग के पास सभी दलों को प्राप्त होने वाले चंदे का ब्योरा पेश करना अनिवार्य है। किसी प्रत्याशी को यदि कोई नागरिक या संगठन 125 डॉलर से अधिक या किसी सीनेट समूह को 625 डॉलर से अधिक देता है तो उसके नाम और पते को घोषित करना होता है। यदि कोई व्यक्ति किसी पंजीकृत राजनीतिक दल को 935 डॉलर से अधिक का चंदा देता है तो उसको आयकर रिटर्न में इसको दिखाना होता है।


फ्रांस: 1995 से व्यापारिक समुदाय से चंदे लेने पर पाबंदी लगा दी गई है। यहां सरकारी खर्चे पर चुनाव होते हैं। चुनाव के दौरान एक व्यक्ति 4600-7500 यूरो के बीच चंदा दे सकता है। इस पर टैक्स में छूट भी मिलती है।


जर्मनी: 6700 पौंड से अधिक दिए जाने वाले सभी चंदे का ब्योरा देना आवश्यक है। यूरोपीय यूनियन या किसी कंपनी में यदि एक जर्मन नागरिक की हिस्सेदारी यदि 50 प्रतिशत से ज्यादा है तो वह 336 पौंड का चंदा दे सकता है। प्रमुख रूप से सरकारी खर्चे पर चुनाव होते हैं।


आयरलैंड: एक व्यक्ति सालाना 4,500 पौंड से अधिक की राशि चंदे के रूप में नहीं दे सकता। राजनीतिक दलों को 3,600 पौंड से अधिक का चंदा प्राप्त करने पर ब्योरा देना होता है।

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अकूत पैसा बेहिसाब खर्च

राजनीतिक दलों को जिस तरह से अकूत पैसा चंदे के रूप में मिलता है, उसी तरह वे उसे बेहिसाब खर्च भी करते हैं। इसे आज की जरूरत कहें या बेहिसाब मिले धन की बेझिझक खर्च करने की मानसिक  अवस्था। कमोबेश सभी राजनीतिक दलों द्वारा रैली से लेकर चुनाव और आयोजन  जैसे समारोहों में यही प्रवृत्ति देखने को मिलती है। हमारे राजनीतिक दलों के दफ्तरों का शाही रखरखाव भी इसी खर्च की एक बानगी है। इनके पदाधिकारियों के लिए महंगे से महंगे वाहन रखे जाते हैं। पार्टी के सालाना आयोजन या किसी अन्य समारोह में इतने किस्म के पकवानों की सूची होती है जो कई दिनों तक लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी रहती है।


चुनाव के दौरान पार्टी अपना सबकुछ झोंकने के चक्कर में पैसे के खर्च की कतई परवाह करती नहीं दिखती। प्रचार के लिए पदाधिकारियों की फौज को भेजने के लिए उड़नखटोलों की लाइन लगी रहती है। अपनी पार्टी के प्रचार प्रसार के लिए नेता उसके विज्ञापन, होर्डिग्स इत्यादि में खर्चने से परहेज नहीं करते हैं। होर्डिग्स इत्यादि में नेताजी की तस्वीर  के लिए खास किस्म के फोटो सेशन का दौर चलता है। राजनीतिक दलों के खर्चों की बानगी हाल ही में कोलकाता में आयोजित समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के दौरान दिखी। उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों से सैकड़ों किमी की हवाई यात्रा से नेतागण कोलकाता पहुंचे। वे यहां के महंगे पांचतारा होटलों में रुके। जिन पांच तारा होटलों में समाजवादी पार्टी के नेता ठहरे थे, उन होटलों के एक कमरे के 24 घंटे का किराया कम से कम करीब 10,000 रुपये है। इन होटलों में लंच या फिर डिनर पर कम से कम 3,000 रुपये प्रति व्यक्ति खर्च होते हैं।


सपा नेताओं के अनुसार उनकी पार्टी की कार्यसमिति के सदस्यों की संख्या करीब 100 है। पर, 300 से अधिक सपा नेता कोलकाता पहुंचे थे।  हालांकि सपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी के खर्च पर आने वाले नेताओं की संख्या कम है। कई ऐसे नेता हैं जो अपने खर्च पर आए हैं। वहीं बैठक स्थल यहां के पॉश इलाके में बनाया गया था जिसका किराया हजारों नहीं लाखों में है। दो दिन सिर्फ नाश्ता ही नहीं 15-20 किस्म के शरबत और चाय के साथ-साथ भव्य भोज भी आयोजित हुआ था। करीब सौ प्रकार के व्यंजन परोसे गए थे। आयोजन की एक रात यहां बड़ी पार्टी आयोजित हुई थी। जहां आर्केस्ट्रा और पंडाल व अन्य सजावट की लागत लाखों रुपये होने का अनुमान है।


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इस आलेख के लेखक जयकृष्णवाजपेयी हैं


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