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कश्मीर के अलावा संबंधों का स्वर्ग

मुद्दा
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कौन नहीं चाहता कि उसका पड़ोस खुशहाल और तरक्की पसंद हो। पाकिस्तान से संबंधों को बेहतर बनाने के पीछे शायद यही मजबूरी भारतीय खेमे को सकारात्मक कदम उठाने के लिए बार-बार काम करती है। मामला आगे भी बढ़ता है, लेकिन अंतत: ‘के’ वर्ड यानी कश्मीर ग्र्रंथि आड़े आ जाती है। स्वाभिमान का मसला बन चुके कश्मीर को अगर अलग रख दिया जाए और शांति बहाली के निम्नलिखित छह कदम उठाएं जाएं, तो दोनों देश एक नई इबारत लिख सकते हैं।


सियाचिन मसला

क्या: जमा देने वाले मौसम का पर्याय यह विवादित क्षेत्र भले ही दुनिया के सबसे ऊंचे जंग के मैदान के रूप में जाना जाता हो, लेकिन इसके नाम का वास्तविक मतलब है ऐसा स्थान जहां जंगली गुलाब पाए जाते हैं। 1984 से दोनों देश इस क्षेत्र के लिए लड़ते आ रहे हैं।

क्यों: 20 हजार फीट से ऊंची इन चोटियों पर भारतीय कब्जे की एक दिन की लागत 10 लाख डॉलर है। करगिल युद्ध के बाद भारत पीछे हटने को तैयार नहीं है। उसका मानना है कि इस कदम से पाकिस्तानी सेना घुसपैठ कर सकती है। पाकिस्तान भले ही भरोसा दिलाए कि वहां वह अब कोई खतरा नहीं पैदा करेगा, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार अहम रणनीतिक महत्व वाला यह ग्लेशियर विवादास्पद है। बंटवारे के बाद नियंत्रण रेखा की स्थिति सियाचिन तक स्पष्ट नहीं की गई थी। उस समय किसी को वहां के वर्तमान महत्व का आभास नहीं था।

पहल: पूरे सियाचिन को संघर्ष रहित क्षेत्र (नो कांफ्लिक्ट जोन) घोषित कर दिया जाए

फायदे: 28 साल से चले आ रहे जंगी विवाद का निपटारा हो सकता है। दोनों देशों के रक्षा बजट को कम करने में मदद मिल सकेगी। यह धन जनकल्याण में लगाया जा सकता है। सीमा पर तनाव कम करने में मदद मिलेगी। ग्लेशियर के पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा होगी


जर्नलिस्ट वीजा

क्या: बतौर स्थानीय संवाददाता भारत और पाकिस्तान एक दूसरे के केवल दो ही पत्रकारों की अनुमति देते हैं। शहर विशेष वीजा प्रावधान की बाध्यता के चलते विदेशी पत्रकारों को मौके पर जाकर रिपोर्टिंग करने में खासी दिक्कत पेश आती है।

क्यों: दोनों देशों में एक दूसरे के पत्रकारों को संदेह की नजर से देखा जाता है।

पहल: राष्ट्रीय अखबारों, पत्रिकाओं, टीवी चैनल्स के संवाददाताओं को वीजा मुहैया कराया जाना चाहिए

फायदे: ज्यादा संख्या में पत्रकारों के आवागमन का मतलब  अटकलबाजियों और अफवाहों पर विराम लगेगा। सही खबरों से लोग वाकिफ हो सकेंगे।


मछुआरों की आजादी

क्या: हर साल सैकड़ों मछुआरे समुद्र की सीमा लांघने के आरोप में एक दूसरे देश द्वारा गिरफ्तार किए जाते हैं।

क्यों: अशिक्षित, गरीब और अलग-थलग पड़े समुदाय से होने के चलते इन्हें समुद्री सीमा और प्रोटोकाल की जानकारी नहीं होती है।

पहल: समुद्री कानूनों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अनुच्छेद 73 के अनुसार समुद्री सीमा पार करने पर आर्थिक दंड लेने के बाद मछुआरे और उनकी नौकाओं को छोड़ दिया जाना चाहिए। मछुआरों के उनके संबंधित दूतावासों से संपर्क स्थापित करने की सुविधा मुहैया कराई जानी चाहिए। फायदा: यह एक बड़ा विश्वास बहाली का कदम हो सकता है। दोनों देशों के बीच व्याप्त शंकालु माहौल क्षीण होगा।


मोबाइल रोमिंग

क्या: मार्च, 2004 में एयरटेल ने पाकिस्तान से पहला द्विपक्षीय रोमिंग समझौता किया। कुछ माह बाद इसे रद कर दिया गया।

क्यों: खुफिया एजेंसियों को यह आशंका खाए जाती है कि इसका इस्तेमाल आतंकी करेंगे

पहल: सभी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को अन्य सार्क देशों के साथ हुई व्यवस्था की तर्ज पर रोमिंग सुविधा मुहैया कराई जानी चाहिए।

फायदे: दोनों तरफ के लोगों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ेगी। इससे दोनों तरफ एक दूसरे के प्रति सद्भावना में वृद्धि होगी और द्विपक्षीय कारोबार के लिए बढ़िया रहेगा।


सरक्रीक विवाद

क्या: भारत थलवेग डाक्ट्रिन आफ इंटरनेशनल लॉ के तहत इस क्षेत्र पर अपना दावा करता है। इसके अनुसार दो देशों के बीच नदियों की सीमा रेखा आपसी सहमति के आधार पर आधी-आधी बंटनी चाहिए। पाकिस्तान इस पूरे क्षेत्र पर अपना दावा 1914 में बांबे सरकार के प्रस्ताव के पैराग्र्राफ 9 और 10 के आधार पर करता है। यह समझौता तत्कालीन सिंध सरकार और कच्छ के राव महाराज के बीच हुआ था।

क्यों: वैसे तो यह पूरा क्षेत्र दलदल है लेकिन इसका रणनीतिक महत्व इसे खास बनाता है। दोनों देशों के बीच की सीमा रेखा ही यह तय करेगी कि किस देश को कितने विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र का नफा हुआ या नुकसान। यदि पाकिस्तान की इच्छानुसार सीमा रेखा पूर्वी किनारे के साथ तय की जाती है तो भारत को कई सौ वर्ग किमी जल क्षेत्र से हाथ धोना पड़ सकता है। इस क्षेत्र में तेल के प्राकृतिक भंडार मिलने के अनुमान से कोई अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं है।

पहल: इस क्षेत्र में दोनों देशों के संयुक्त उपक्रम लगाए जा सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र को दोनों सरकारों पर इसे ‘अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र’ घोषित करने का दबाव बनाना चाहिए।

फायदे: दोनों देशों के लिए उनकी जमीन और समुद्री सीमा रेखा का निर्धारण संभव होगा


एक शहरी वीजा

क्या: इनके बीच एक दूसरे के नागरिकों के प्रवेश की प्रक्रिया बहुत अच्छी नहीं है। पहल: अन्य देशों की तर्ज पर दोनों तरफ वीजा प्रणाली में बदलाव किया जाना चाहिए। पर्यटक और छात्र वीजा दिए जाएं, बिजनेस वीजा को वरीयता मिले। अक्सर आने जाने वालों को वीजा आन अराइवल की सुविधा मिले।

फायदे: अधिक संख्या में पीपुल टू पीपुल कांटैक्ट से कारोबार और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। दोनों जगह पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा। छात्रों के आदान-प्रदान कार्यक्रम से आपसी समझ बेहतर होगी।


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