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ईरान का परमाणु कार्यक्रम विवाद की जड़ है। पश्चिमी देशों को आरोप है कि ईरान परमाणु बम बनाना चाहता है। इसके विपरीत ईरान का कहनाहै कि उसका यह कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। वह इससे बिजली उत्पादन और मेडिकल उद्देश्यों को पूरा करना चाहता है
आइएईए रिपोर्ट
–अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) ने अपनी रिपोर्ट में इशारा किया है कि ईरान परमाणु बम विकसित करने की कोशिश कर रहा है
–ईरान में कयूम के निकट मध्यम स्तरीय परमाणु संवद्र्धन प्लांट है
-ईरान ने अपने गुप्त न्यूक्लियर प्रोजेक्ट 111 के बारे में आइएईए को किसी भी प्रकार की जानकारी देने से इंकार कर दिया है
–आइएईए ने नवंबर, 2011 में नए प्रमाण देते हुए कहा कि ईरान प्त तरीके से परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहा है
–पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों ने तीन साल पहले एक रिपोर्ट में कहा था कि ईरान गुप्त रूप से यूरेनियम संवद्र्धन प्लांट विकसित करने की कोशिश कर रहा है
संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी ईरान को निर्देश दिया है कि वह परमाणु संवद्र्धन के लिए अपनाई जा रही अपनी तकनीक को रोक दे
पश्चिम की चिंता
–अमेरिका समेत पश्चिमी शक्तियों का मानना है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम सैन्य मकसद के लिए है। इससे विश्व शांति के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है
–पश्चिम एशिया का क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बिगड़ सकता है क्योंकि यदि ईरान परमाणु बम विकसित कर लेता है तो इस क्षेत्र में इजरायल की बादशाहत खत्म हो जाएगी
इजरायल
–ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है। ईरान पहले यह बयान भी दे चुका है कि वह दुनिया के नक्शे से इजरायल को मिटाना चाहता है। इसलिए इजरायल किसी भी सूरत में ईरानी परमाणु कार्यक्रम को सफल नहीं होने देना चाहता
–इजरायली नेताओं ने अपने मकसद को पूरा करने के लिए ईरान पर सैन्य हमले की संभावना से भी इंकार नहीं किया है। वह ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला कर सकता है
सऊदी अरब
–सऊदी अरब समेत खाड़ी देश मानते हैं कि ईरान आधिपत्य पसंद देश है। परमाणु बम हासिल करने के बाद यह और भी आक्रामक हो जाएगा
–इनका यह मानना है कि ईरान को अपनी जरूरतों के लिए परमाणु बम की जरूरत नहीं हैं बल्कि साम्राज्यवादी इच्छाओं के चलते वह ऐसा कर रहा है
पाकिस्तान की भूमिका
अरब जगत के सुन्नी देश भी यह कतई नहीं चाहते कि शिया देश ईरान के पास परमाणु बम हो। ऐसे में सऊदी अरब भी परमाणु बम हासिल करने की कोशिश करेगा। वह इसके लिए पाकिस्तान से संपर्क कर सकता है। इससे इस्लामिक जगत में पाकिस्तान की स्थिति मजबूत होगी। नतीजा भारत के लिए खतरनाक होगा
तेल की ताकत
–तेल, ईरान की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। उसकी विदेशी मुद्रा का 80 फीसदी तेल के निर्यात पर निर्भर करता है
–तेल निर्यात पर प्रतिबंध और ईरान के सेंट्रल बैंक की संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई से ईरान-अमेरिका सैन्य टकराव की आशंका बढ़ जाती है। इतिहास गवाह है कि तेल प्रतिबंध और सैन्य टकराव में सीधा संबंध है
–अमेरिका को हिला देने वाले 1941 के पर्ल हार्बर हमले का एक कारण यह भी था कि अमेरिका, ब्रिटेन और हॉलैंड की तिकड़ी ने 1939 में जापान पर तेल व्यापार प्रतिबंध लगा दिए थे , जिसके कारण जापान की हालत पतली हो गई थी
ईरान का दम
–ईरान ने धमकी दी है कि यदि उस पर हमला किया गया तो वह तेल सप्लाई के लिए महत्वपूर्ण होरमुज स्ट्रेट को दुनिया से काट देगा। होरमुज स्ट्रेट फारस और ओमान की खाड़ी के बीच स्थित है। इससे दुनिया के 20 प्रतिशत तेल की सप्लाई होती है
–पिछले दिनों ईरान ने घोषणा की कि वह यूरोपीय संघ के छह देशों फ्रांस, पुर्तगाल, इटली, ग्रीस, नीदरलैंड और स्पेन को तेल सप्लाई बंद कर सकता है। उसके कुछ ही घंटों के अंदर दुनिया भर मेंतेल के दाम 120 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ गए
बिगड़ते रिश्ते
ईरान में 1979 में इस्लामिक क्रांति होने से पहले उसके इजरायल के साथ अच्छे संबंध थे। क्रांति के बाद सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खोमैनी ने इजरायल को दुश्मन करार देते हुए उसके साथ सारे संबंधों को तोड़ दिया
–ईरान के परमाणु बम बनाने की चाहत और फलस्तीन में सक्रिय आतंकी संगठन हमास और हिजबुल्ला को सहयोग देने के कारण इजरायल के साथ उसके संबंध बिगड़ते गए। 2005 में ईरान में कट्टरपंथी नेता महमूद अहमदीनेजाद के राष्ट्रपति बनने के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में खटास बढ़ती गई है
– अप्रत्यक्ष संघर्ष में मोसाद और हिजबुल्ला की प्रमुख भूमिका है
खेल के खिलाड़ी
मोसाद: इजरायल ने 1949 में इस खुफिया एजेंसी का गठन किया। इसे दुनिया की सबसे खतरनाक गुप्तचर एजेंसियों में शुमार किया जाता है। यह पूरी दुनिया में फैले यहूदी समुदाय की रक्षा करती है। इस पर आरोप है कि विदेश में भी अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाने में पीछे नहीं हटती।
ईरान के आरोप: पिछले दो सालों में चार प्रमुख ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या के पीछे मोसाद का हाथ नवंबर , 2011 में ईरानी मिसाइल कार्यक्रम प्रमुख हसन मुगद्दम समेत 17 रिवोल्यूशनरी गार्ड की हत्या के लिए मोसाद जिम्मेदार
जनवरी , 2010 में ईरान के इमाम हुसैन यूनिवर्सिटी में भौतिक विज्ञान केप्रोफेसर मसूद अली मुहम्मदी की हत्या में मोसाद का हाथ
हिजबुल्ला: शिया मुस्लिम चरमपंथी संगठन है। लेबनान में यह राजनीतिक रूप से सक्रिय है। 1982 में लेबनान पर इजरायली आक्रमण के प्रतिरोध के रूप में यह अस्तित्व में आया। ईरान और सीरिया इसको वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं
माना जाता है कि ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड हिजबुल्ला लड़ाकों को प्रशिक्षण देते हैं और ये अरब जगत समेत दुनिया भर में ईरान के मिशनों को अंजाम देते हैंइजरायल के आरोप: पिछले साल तुर्की , अजरबैजान और दो सप्ताह पहले थाइलैंड में इजरायल प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने में इजरायल ने हिजबुल्ला का हाथ माना है
इस सप्ताह दिल्ली , बैंकाक और जॉर्जिया में हुए हमले के लिए भी इजरायल ने हिजबुल्ला को दोषी ठहराया है
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साभार : दैनिक जागरण 19 फरवरी 2012 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
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