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इस दस्तावेज में सार्वजनिक विभाग द्वारा सक्षम और प्रभावी तरीके से स्वीकार्य मानक वाली सेवाएं प्रदान करने की जिम्मेदारियों, कर्तव्य और वचनबद्धता की घोषणा की जाएगी। इसमें तय सीमा के भीतर सेवाएं मुहैया कराने एवं शिकायत निवारण के लिए जिम्मेदार सिविल सेवक के पद का भी ब्योरा होगा। इसके तहत कई अन्य प्रावधान भी शामिल हैं:
* नागरिकों को दी जाने वाली वस्तुओं एवं सेवाओं का विवरण।
* इन सेवाओं को पाने की प्रक्रिया का विवरण।
* उन दशाओं के बारे में जिनके आधार पर नागरिक वस्तुओं एवं सेवाओं को पाने का अधिकारी होगा।
* वस्तुओं एवं सेवाओं को पाने के मानक एवं समयसीमा का विवरण।
* उस समयसीमा का ब्योरा जिसके बाद सिविल सेवक आवेदन को निरस्त कर देगा।
* उस व्यक्ति का विवरण जो सुविधाएं उपलब्ध कराएगा और साथ में उसकी निगरानी करने वाले अधिकारी का ब्यौरा भी दिया जाएगा।
* सिटिजन चार्टर को हर साल अपडेट किया जाएगा।
शिकायत निवारण अधिकारी
* प्रत्येक प्राधिकरण छह माह के भीतर केंद्र, राज्य, जिला और तहसील स्तर पर शिकायत निवारण अधिकारियों की भर्ती करेगा। जो नागरिकों द्वारा की जाने वाली शिकायतों का निपटान करेगा।
* प्रत्येक प्राधिकरण में जीआरओ होगा।
* जीआरओ यह सुनिश्चित करेगा कि
* नागरिकों द्वारा शिकायत दर्ज कराने में भी जीआरओ हर तरह का सहयोग करेगा। यहां तक कि मौखिक शिकायत को भी वह लिखित तौर पर दर्ज करने की व्यवस्था सुनिश्चित करेगा।
प्राधिकरण का विभागाध्यक्ष (प्रथम अपीलीय)
* जिन शिकायतों का निराकरण 15 दिनों के भीतर नहीं होगा वह अपने आप प्राधिकरण के विभागाध्यक्ष के पास पहुंच जाएगी।
* शिकायतकर्ता खुद भी अपील करने के लिए विभागाध्यक्ष के पास जा सकता है।
* विभागाध्यक्ष द्वारा इन शिकायतों का निपटारा 30 दिनों के भीतर कर दिया जाएगा।
शक्तियां
सिटिजन चार्टर के सृजन, प्रसार और समय से अपडेट करने के लिए आदेश जारी कर सकता है।
द्वितीय अपीलीय
प्राधिकरण के विभागाध्यक्ष के खिलाफ राज्य और केंद्रीय आयोग के समक्ष द्वितीय स्तर की अपील की जा सकती है।
केंद्र और राज्य शिकायत आयोग
* ये अर्ध-न्यायिक निकाय होंगे जो शिकायतों को निपटाने की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।
* यह दो स्तरों पर काम करेंगे:
भूमिका
कार्रवाई रिपोर्ट
किसी की शिकायत की गई कार्रवाई की लिखित रिपोर्ट शिकायतकर्ता को जीआरओ या विभागाध्यक्ष या राज्य या केंद्रीय आयोग द्वारा दी जाएगी।
शिकायत की प्रक्रिया
* नागरिक लिखित या मौखिक (फोन, टेक्स्ट या अन्य माध्यम) शिकायत जीआरओ या स्थानीय आइएफसी को कर सकता है।
* हर शिकायत की पावती 24 घंटे के भीतर शिकायतकर्ता को दी जाएगी।
* जीआरओ 15 कार्य दिवसों के भीतर शिकायत का निपटारा कर कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) शिकायतकर्ता को दे देगा।
* जीआरओ को अगर लगता है कि शिकायत में दम नहीं है तो वह कारण बताते हुए शिकायतकर्ता को उसकी शिकायत वापस कर सकता है।
* यदि शिकायतकर्ता असंतुष्ट है तो वह जीआरओ के खिलाफ प्राधिकरण के विभागाध्यक्ष से लेकर केंद्रीय आयोग तक जा सकता है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ
* यदि जीआरओ को लगता है कि किसी सिविल सेवक ने जानबूझकर वस्तु या सेवा को उपलब्ध नहीं कराया या उसके खिलाफ प्रथमदृष्टया भ्रष्टाचार निरोधक एक्ट, 1988 का मामला बनता है तो वह उसके खिलाफ मामले की अनुशंसा करेगा।
* इसी तरह जब प्राधिकरण के विभागाध्यक्ष या राज्य या केंद्रीय शिकायत आयोग को किसी शिकायत में प्रथमदृष्टया ऐसे दस्तावेज मिलते हैं जिनसे भ्रष्टाचार निरोधक एक्ट, 1988 के तहत मामला बनता है तो वह उसको प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है।
06 नवंबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “सिटिजन चार्टर की हकीकत” पढ़ने के लिए क्लिक करें.
06 नवंबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “दस के दम से भ्रष्टाचार बेदम!” पढ़ने के लिए क्लिक करें.
साभार : दैनिक जागरण 06 नवंबर 2011 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
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