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भारतीय पक्ष
* ब्रिटिश भारत और तिब्बत ने 1914 में शिमला समझौते के तहत अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में मैकमोहन रेखा का निर्धारण किया।
* यह भी मानना है कि इस सीमा रेखा का निर्धारण हिमालय के सर्वोच्च शिखर तक किया गया है।
चीनी पक्ष
* मैकमोहन रेखा को अवैध मानता है लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा की वास्तविक स्थिति कमोबेश यही है।
* इस क्षेत्र में हिमालय प्राकृतिक सीमा का निर्धारण नहीं करता क्योंकि अनेक नदियों यहां से निकलती हैं और सीमाओं को काटती हैं।
विवाद के बिंदु
सिक्किम-तिब्बत सीमा को छोड़कर लगभग पूरी भारत-चीन सीमा रेखा विवादित है :
* अक्साई चिन: जम्मू-कश्मीर के उत्तर-पूर्व में विशाल निर्जन इलाका है। भारत का दावा लेकिन वास्तव में चीन का नियंत्रण है।
* अरुणाचल प्रदेश: चीन का दावा लेकिन नियंत्रण भारत का।
अन्य विवादित क्षेत्र
* सिक्किम-तिब्बत-पश्चिम बंगाल सीमा के मिलन बिंदु सुमदोरोंग चू।
* एलएसी में पांच या छह ऐसे बिंदु हैं जो दोनों देशों के बीच विवादित हैं।
वर्तमान स्थिति
* पूर्व में हुए समझौते के आधार पर वर्तमान में दोनों पक्ष एलएसी पर निगरानी करते हैं और विवादित स्थलों पर गश्त करने के दौरान वहां फौजी कैप, बेल्ट और सिगरेट पैक छोड़ जाते हैं। इसका मकसद दूसरे को अपनी उपस्थिति दर्ज कराना होता है।
* यदि गश्त के दौरान दोनों पक्ष आपस में मिल जाते हैं तो वे अपने हथियारों को रख देते हैं। एक-दूसरे से विनम्रता से पेश आते हैं और कहते हैं कि वे अपने क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं।
जल विवाद
ब्रह्मपुत्र नदी: चीन यारलुंग सांग्पो [ब्रह्मपुत्र नदी का तिब्बती नाम] नदी की धारा को मोड़कर अपने उत्तर-पूर्व या उत्तर पश्चिम में जिनजियांग प्रांत तक जल पहुंचाना चाहता है। भारत के भारी विरोध और दबाव के बाद उसने अपनी योजना को फिलहाल स्थगित कर दिया है।
1962 के संघर्ष की दास्तान
अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश की संप्रुभता विवाद की जड़ थे। इसी दौरान दलाई लामा को शरण देना चीन को नागवार गुजरा। इसके अलावा फारवर्ड पॉलिसी के तहत मैकमोहन रेखा पर भारतीय चौकियों की स्थापना और अक्साई चिन में सड़क के निर्माण ने दोनों देशों को युद्ध की ओर धकेल दिया। नतीजतन चीन ने 20 अक्टूबर, 1962 को भारत पर हमला कर दिया। 20 नवंबर, 1962 को एकतरफा युद्धविराम की घोषणा करते हुए चीन ने विवादित क्षेत्रों से अपनी सेनाएं हटा लीं।
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चीन हमेशा से भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहा है। अभी तक हमने अपना ध्यान सिर्फ पाकिस्तान पर केंद्रित रखा। इससे हमें अधिक सतर्कता बरतनी होगी। -धनंजयकुमार03 @ याहू.कॉम
चीन की नीयत में खोट है। वह हमारा भरोसेमंद पड़ोसी कभी नहीं हो सकता। -देवपी704 @ जीमेल.कॉम
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साभार : दैनिक जागरण 30 अक्टूबर 2011 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
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