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कुछ मीठा कैसे हो जाए!

मुद्दा
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सगे-संबंधियों के मुंह मीठा करने का दस्तूर। मिठाइयों से अटी पड़ी दुकानें एवं बाजार। इस माहौल के बीच मिठाइयों को तैयार करने में प्रयोग किए जाने वाले अलग-अलग पदार्थो में मिलावट की खबरें उत्सवी मिठास को खटास में बदलने के लिए काफी हैं। मुनाफाखोर और मानवता के दुश्मन पैसा बनाने के लिए खाद्य पदार्थो में मिलावट करने से जरा भी विचलित नहीं होते। इसका नतीजा कभी-कभी बेहद गंभीर होता है।


ऐसा नहीं है कि हमारे देश में खाद्य पदार्थो की संरक्षा और मानक तय करने के लिए कानून नहीं है। इसी साल अगस्त में नए धार के साथ खाद्य संरक्षा एवं मानक नियम-2006 लागू किया गया। इसमें लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले मिलावटखोरों एवं घटिया खाद्य पदार्थो के धंधे से जुड़े लोगों को सबक सिखाने के सख्त प्रावधान हैं। ये बात और है कि इस कानून को लेकर लोगों के बीच जागरूकता की कमी मिलावटखोरों का मनोबल बढ़ाती है। त्योहारी सीजन पर छापों और धरपकड़ के बाद भी इन मिलावटखोरों की तेजी पर विराम नहीं लग पाता है। दीपावली के मौके पर इस कानून को लेकर लोगों के बीच व्याप्त अंधेरे को दूर करना बड़ा मुद्दा है।


थोड़ी सावधानी और त्यौहार का मजा दोगुना

मिठाई में मिलावट की खबरों से भयभीत होकर क्या आपका दीपावली का उत्साह फीका है? नामी कंपनियों के पैकिंग वाले उत्पादों के स्तर को लेकर भी क्या आपके मन में शंका है? अगर ऐसा है तो इस भय और शंका को मन से निकालिए। थोड़ी सी सावधानी बरतें, अपने अधिकारों को जानें और आपके खान-पान को सुरक्षित बनाने में सरकारी एजेंसियों का सहयोग करें।


यह सच है कि मिठाइयों से लेकर हर तरह की खाद्य सामग्री में तरह-तरह से मिलावट हो रही है। त्योहारों के दौरान इन मिलावटखोरों की गतिविधियां बेहद तेज हो जाती हैं। लेकिन आपको यह जान कर संतोष होगा कि सिर्फ त्योहारों के लिहाज से ही नहीं पूरे साल आपके हर तरह के खाद्य पदार्थो को पूरी तरह सुरक्षित बनाने की जोरदार मुहिम चल पड़ी है। इसी साल खाद्य संरक्षा एवं मानक के नए नियम आए हैं। इनमें मिलावटखोरों एवं घटिया खाद्य पदाथरें के धंधे से जुड़े लोगों को सबक सिखाने के लिए कई सख्त प्रावधान किए गए हैं।


पहले जहां सिर्फ मिलावट या किसी तरह के संक्रमण पर ही दंड का प्रावधान था, अब खाद्य पदार्थो के किसी भी तरह से असुरक्षित होने पर उसकी बिक्री, भंडारण, वितरण और निर्माण करने वालों को दंडित किया जा रहा है। पहले ऐसे किसी भी अपराध के लिए सिर्फ एक हजार रुपये के जुर्माने की व्यवस्था थी, जिसे अब 25 लाख रुपये तक कर दिया गया है।


आपकी लापरवाही से इन मिलावटखोरों का मनोबल बढ़ता है। इसलिए ऐसे किसी भी मामले पर चुप न रहें। इसकी तुरंत शिकायत करें। नए नियमों ने मिलावटखोरी के खिलाफ अभियान में आपकी भागीदारी को भी जरूरी माना गया है। इसी के तहत आम नागरिक को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी खाद्य सामग्री का नमूना लेकर उसे प्रयोगशाला जांच के लिए भेज सकता है। गलत पाए जाने पर उसकी बिक्री, भंडारण या वितरण आदि में लिप्त व्यक्ति को तुरंत दंड दिया जाएगा।


अगर आपको किसी खाद्य सामग्री के असुरक्षित होने का शक लगता है तो आप उसे बेच रहे व्यक्ति से उसका नमूना ले सकते हैं। इसके लिए आप उसकी सहमति लें, सामान का बिल लें और उसकी मौजूदगी में ही उसे सील बंद कर दें। अगर विक्रेता इसकी सहमति नहीं देता है तो किसी भी अन्य दो-तीन व्यक्ति की मौजूदगी में आप यह नमूना ले सकते हैं। अगर वह विक्रेता इसमें भी सहयोग नहीं कर रहा तो आप पुलिस या स्थानीय खाद्य सुरक्षा अधिकारी की मदद ले सकते हैं। इस तरह लिए गए नमूनों को आप खाद्य सुरक्षा अधिकारी को प्रयोगशाला जांच के लिए सौंप सकते हैं।


त्योहारों के बावजूद इस बात का खास तौर पर ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी खाद्य पदार्थ उतनी ही मात्रा में बाजार से लाएं या तैयार करें, जितनी खपत हो सके। बर्बाद न जाए। फिर भी कभी ऐसी चीज खराब हो जाए तो उसे अपने यहां काम करने वाले नौकरों या मवेशियों को न खिलाएं। बल्कि उन्हें सही तरीके से निस्तारित कर दें। ताकि मवेशी भी गलती से उसे न खा लें। खाने-पीने की सामग्रियों का बिल जरूर लें।: [असीम चौधरी, निदेशक [प्रशासन] से बातचीत पर आधारित]


गलत करने वालों को मिले कड़ी सजा

कोई भी कानून जनता की बेहतरी और भलाई के लिए बनाया जाता है। खाद्य संरक्षा एवं मानक कानून-2006 को लागू किए जाने के पीछे भी सरकार की यही मंशा है। यह एक उम्दा कानून है। इसमें किए गए सख्त प्रावधान आम आदमी के जीवन से खिलवाड़ करने वाले मिलावटखोरों को सजा दिलाने के लिए जरूरी हैं। उपभोक्ता और खाद्य पदार्थ कारोबारी के हित नहीं प्रभावित होने चाहिए। खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता को बरकरार रखने के लिए बनाए गए इस कानून से किसी का हित प्रभावित भी नहीं होता है। जहां इस कानून से उपभोक्ताओं को गुणवत्तापरक खाद्य पदार्थो की आपूर्ति सुनिश्चित हो रही हैं, वहीं उनके अधिकारों से खिलवाड़ करने वाले दंड के पात्र भी बन रहे हैं। कोई कारोबारी अगर नियम-कानून के विरुद्ध चलता है और थोड़े से आर्थिक मुनाफे के लिए लोगों की जान दाव पर लगाता है तो उसे सजा मिलनी ही चाहिए। सजा सख्त हो और शीघ्र ही दी जानी चाहिए। लोकतंत्र में कानून सबके लिए बराबर है। इसमें कोई ऊंच-नीच नहीं होता है। हर हाल में कानून का अनुपालन किया जाना चाहिए। इस कानून का मुख्य लक्ष्य विकसित देशों द्वारा अपनाए जा रहे विज्ञान आधारित खाद्य एवं खाद्य प्रसंस्करण मानकों को प्राप्त करना है। इस कानून के तहत बनाए गए भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की कार्यशैली पारदर्शी होनी चाहिए जिससे इस क्षेत्र से जुड़े कारोबारियों सहित सभी हितधारक इसके नियम-कानून का स्वयं अनुपालन करें। हालांकि यह कानून भविष्य को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, फिर भी इसकी कुछ कमजोर कड़ियां और मसले हैं। मेरा मानना है कि इससे जुड़े सभी लोगों के हित की बेहतरी को देखते हुए प्राधिकरण इसे शीघ्र ही सुलझा लेगा। भविष्य में सुरक्षित खाद्य पदार्थ का सपना साकार होगा।[डीवी मल्हान -कार्यकारी सचिव, आल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोसिएशन]


23 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “मिलावटखोरी रोकने के लिए कड़े कानून”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

23 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “परदेस में मानक”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.


साभार : दैनिक जागरण 23 अक्टूबर 2011 (रविवार)

नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.

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