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वैश्विक कार्यकर्ता

मुद्दा
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर देश में भले ही दो राय बनाई जाती हो, लेकिन विश्व पटल पर यह शख्सीयत समभाव से एक वैश्विक कार्यकर्ता के रूप जानी जाती है। एक ओर जहां बीसवीं सदी के सभी महान राजनैतिक धुरंधर विश्वपटल से गायब होते जा रहे हैं तो दूसरी ओर गांधीजी की राजनीतिक विरासत अक्षुण्ण बनी हुई है।


it}radi2रैडिकली इटैलियानी नामक इटली के राजनैतिक दल के ध्वज पर विराजमान है गांधीजी का चित्र। इसके सदस्य अक्सर भूख हड़ताल पर चले जाते हैं, और इनका मुख्य राजनैतिक आंदोलन सविनय अवज्ञा के साथ ही चलता है। इस दल की महिला नेता एमा बॉनिनो पिछली साझा सरकार में अंतरराष्ट्रीय व्यापार और यूरोपीयन मामलों की मंत्री थीं। इससे पहले वे यूरोपीयन कमिश्नर के ओहदे पर भी कार्य कर चुकी हैं। बॉनिनो पिछले तीस साल से गांधीवाद की प्रबल समर्थक हैं और गांधीवाद के साथ ही जीवन-निर्वाह करने का भरसक प्रयत्न करती हैं। इटली में गांधी का नाम बहुत ही जाना-पहचाना है। वहां की पाठ्यपुस्तकों में उनके बारे विस्तृत जानकारी दी गई है..


* यरूशलम और रामल्ला के बीच स्थित एक गांव में इजरायली सरकार द्वारा बनाई गई फलस्तीन को अलग करने वाली दीवार पर गांधीजी का एक विशाल चित्र उकेरा गया है।


* जनवरी, 2007 में सत्याग्रह की सौवीं वर्षगांठ के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में तो डेसमंड टुटु, केनेथ कौंडा और अहमद कैथ्रादा जैसे शांतिवादी नेताओं ने उन्हें जैसे जीवित ही कर दिया।


* यूरोप के कई देशों के साथ, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, लाइबेरिया और फलस्तीन जैसे देशों की मुद्राओं पर गांधीजी के चित्र अंकित हैं।


* अमेरिका में, मार्च 2003 में इराक पर होनेवाले हमलों के दौरान विश्वविद्यालयों के गलियारों में लगे पोस्टरों पर लिखा था, ‘गांधीजी क्या करेंगे?’ और जब यह घोषणा हुई कि जॉर्ज बुश भारत की यात्रा के दौरान गांधीजी की समाधि पर पुष्प अर्पित करेंगे तो अमेरिका के युद्ध-विरोधी बुद्धिजीवियों ने इसे एक तरह का सनकीपन करार दिया और इस घटना को बहुत ही अपमानजनक और प्रतीकात्मक बताया।


* अपने सीनेट चुनाव के प्रचार के दौरान हिलेरी क्लिंटन ने मजाक में कहा कि गांधीजी सेंट लुई में गैस स्टेशन चलाया करते थे, तो लोगों का इस कथन के प्रति विरोध इतना जबरदस्त था कि उन्हें फौरन माफी मांगनी पड़ी। कहना पड़ा, ‘जी नहीं, मैंने वह यूं ही कहा था। दरअसल महात्मा गांधी तो बीसवीं शताब्दी के एक महान नेता थे।’ इससे दो कदम आगे बढ़ते हुए उन्होंने पराजित प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए गांधीजी द्वारा कहा गया कथन दोहराया, ‘पहले तो वे तुम्हें उपेक्षित करेंगे, फिर तुम पर हंसेंगे, उसके बाद वे तुमसे लड़ेंगे-झगड़ेंगे और तब कहीं जाकर तुम विजयी होगे।’


* फलस्तीन में इजरायल द्वारा किए जानेवाले क्षेत्रीय अतिक्रमण के खिलाफ गांधीजी एक नए राजनीतिक विकल्प बनकर उभर रहे हैं। हिंसा से कुछ पाने के बजाय बहुत कुछ खोने का अहसास होने के बाद गैर राजनीतिक संगठनों के एक नेटवर्क ने गांधी प्रोजेक्ट नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की है। इसके माध्यम से इस आंदोलन को जारी रखने के लिए अहिंसा और सत्याग्रह के लाभों का प्रचार करना ही उनका उद्देश्य है।


* गांधीजी की मूर्तियां न्यूयॉर्क, लंदन और पीटरमेरिट्जबर्ग में बड़ी शान से खड़ी हैं।


02 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “गांधी तुम आज भी जिंदा हो”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

02 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “राष्ट्रपिता एक रूप अनेक”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

02 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “खुद के बारे में बापू की सोच”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

02 अक्टूबर को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “महात्मा और मसले”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

साभार : दैनिक जागरण 02 अक्टूबर 2011 (रविवार)

नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.


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