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भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए प्रभावी लोकपाल कानून बनाए जाने को लेकर अन्ना हजारे का अनशन जारी है। इतिहास गवाह है कि कई जनहित वाले कार्यो और नीतियों को लागू कराने के लिए विरोध के ऐसे ही तरीकों को अपनाया गया है। विरोध दर्ज कराने के ऐसे ही प्रमुख तरीकों पर एक नजर..
क्या है विरोध
किसी स्थिति, हालात या घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया विरोध कहलाती है। सामान्यतया अब विरोध शब्द का प्रयोग किसी चीज के खिलाफ प्रतिक्रिया के लिए किया जाता है। पहले इस शब्द का मतलब किसी चीज के लिए प्रतिक्रिया करने से भी लगाया जाता था। विरोध दर्ज कराने के लिए प्रदर्शनकारी सार्वजनिक रूप में एक धरने का आयोजन करते हैं। जनता की राय या सरकारी नीतियों को प्रभावित करने के प्रयास में ये लोग मजबूती से अपनी बात रखते हैं। ये लोग मनोवांछित बदलाव के लिए सीधे अपने कदम भी उठा सकते हैं।
विरोध के तरीके
जन प्रदर्शन या राजनीतिक रैली: इस अहिंसक विरोध के तरीके में विरोध मार्च किया जाता है। इसके अलावा घटनास्थल पर लोगों द्वारा एकत्र होकर धरना देना भी एक तरीका है। हाथ में झंडे, बैनर इत्यादि लेकर सड़कों पर मार्च करना, झंडे बैनर को शरीर में लपेट कर जमीन पर लेट जाना भी इसके तरीकों में शामिल है। पश्चिमी देशों में विरोध गीत और दक्षिण अफ्रीकी देशों में एक खास तरह का नृत्य विरोध दर्ज कराने के सशक्त तरीकों में शुमार किए जाते हैं।
लिखित प्रदर्शन: जनहित के मुद्दों के लिए लिखित आवेदन, पत्र, याचिका मंगाना भी विरोध का एक तरीका है।
लिखित प्रदर्शन वाले माध्यमों की बड़ी संख्या राजनीतिक सत्ता पर दबाव बनाने में कारगर होती है।
सविनय अवज्ञा प्रदर्शन: सरकार के नियम कानूनों की अवज्ञा करके विरोध दर्ज करने के तरीके सविनय अवज्ञा आंदोलन या सिविल नाफरमानी की श्रेणी में आते हैं।
ऑनलाइन तरीके: अब लोग ऑनलाइन अपने विरोध और शिकायतों को दर्ज कराते हैं। इसके द्वारा अपने विचारों, भावों और खबरों को दुनिया भर में शीघ्रता से पहुंचाया जा सकता है।
भूख हड़ताल
अहिंसक विरोध या दबाव का यह एक तरीका है। इसमें शामिल लोग राजनीतिक विरोध या दूसरों में अपराध की भावना को बलवती करने के लिए उपवास रखते हैं। सामान्यतया अनशन के इस अस्त्र का प्रयोग किसी खास लक्ष्य की प्राप्ति जैसे सरकारी नीतियों में बदलाव के लिए किया जाता है। अधिकांश भूख हड़तालों में शामिल लोग केवल तरल पदार्थो का उपयोग करते हैं। खाद्य पदार्थो का सेवन न करने से कभी-कभी यह अनशन आत्मघाती भी साबित होता है।
इतिहास:
परदेस: ईसा से पहले आयरलैंड में अन्याय के प्रति विरोध दर्ज कराने के लिए उपवास रखा जाता था। यह विरोध अन्याय करने वाले के दरवाजे पर किया जाता था।
देश: भूख हड़ताल का जिक्र ईसा से 400-750 साल पहले मिलता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार वनवास पर गए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को वापस अयोध्या लाने के लिए भरत वन जाते हैं। वहां अपने बड़े भइया राम से वापस लौटने के लिए बहुत अनुनय विनय करते हैं लेकिन श्रीराम इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करते हैं। अंत में भरत भूख हड़ताल करने की ठानते हैं जिसे राम ब्राह्मणों का कार्य बताकर उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं।
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साभार : दैनिक जागरण 21 अगस्त 2011 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
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