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भूखे भजन भी होय गोपाला!

मुद्दा
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बिना अन्न-जल ग्रहण किए कोई कितने दिन जीवित रह सकता है? एक, दो, तीन या फिर..? आइए, जानते हैं कि जीवित रहने के लिए कितना जरूरी है अन्न-जल:-


आदर्श स्थिति: विशेषज्ञों के अनुसार यह कई कारकों पर निर्भर करता है कि बिना अन्न-जल के कोई कितने लंबे समय तक अपने आपको जीवित रख सकता है। इस काम को करने की यह ‘इच्छाशक्ति’ भी इनमें से एक है। बिना पानी पिए अधिक समय नहीं रहा जा सकता है। डिहाइड्रेशन के शिकार हो सकते हैं। भोजन के साथ दूसरी कहानी है। बिना अन्न के कोई लंबे समय तक जीवित रह सकता है लेकिन उसे जल मिलते रहना चाहिए। आदमी का वजन, उसका सम्पूर्ण स्वास्थ्य और मौसम भी इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।


PICकुदरत का करिश्मा: ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए शरीर कुछ अतिरिक्त ऊर्जा को वसा, कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटींस के रूप में संचय करके रखता रहता है। जब शरीर को जरूरत से कम भोजन मिलने लगता है तो पहले शरीर संचित कार्बोहाइड्रेट का इस्तेमाल करता है। वसा का क्रम दूसरे और प्रोटींस को सबसे अंत में शरीर उपयोग में लाता है।


उपापचय: भोजन को ऊर्जा में बदलने की क्रिया उपापचय कहलाती है। यदि किसी व्यक्ति की उपापचय प्रक्रिया धीमी है तो उसके द्वारा खाया गया भोजन धीरे-धीरे ऊर्जा में तब्दील होगा जिससे लंबे समय तक व्यक्ति को ऊर्जा मिलती रहेगी। यदि कोई बिल्कुल भी अन्न ग्रहण नहीं कर रहा है तो उपापचय प्रक्रिया अपने-आप इसके अनुसार धीमी हो जाएगी। यहां तक की यह प्रक्रिया आपको जीवित रखने के स्तर पर काम करना शुरू कर देगी।


मौसम की मार: मौसम भी एक बड़ा कारक है। बिना भोजन के जीवित रहने के लिए अत्यधिक गर्मी और सर्दी दोनों प्रतिकूल हैं। ठंड में शरीर के औसत तापमान को बनाए रखने के लिए ज्यादा ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है जबकि गर्मी में तेज डिहाइड्रेशन। इसलिए इसके लिए सुहावना मौसम सबसे बढि़या होता है।


लक्षण: दो दिन से अधिक बिना भोजन के रहने पर दिखाई देने वाले लक्षण:-

*कमजोरी

* घबराहट

* क्रोनिक डायरिया

* चिड़चिड़ापन

* बुरा निर्णय लेना

* प्रतिरोधी तंत्र का कमजोर होना

* लंबे समय तक भूखे रहने से शरीर के सभी अंग हो सकते हैं एक-एक करके निष्क्रिय।

* अधिक लंबे समय में मतिभ्रम, अकड़न, मांसपेशीय ऐंठन और अनियंत्रित हृदयगति जैसे लक्षण दिख सकते हैं।


पानी की कहानी: सीधे शब्दों में जीने के लिए पानी जरूरी है। हम अपने शरीर के पानी को पसीने, मल-मूत्र और श्वसन के रुप में खर्च करते हैं। शरीर के अंगों के सही ढंग से काम करने के लिए इस खर्च हो रहे पानी की भरपाई जरूरी है। सामान्य मौसम में एक स्वस्थ व्यक्ति तीन से पांच दिन तक बिना पानी के जीवित रह सकता है।


जनमत


chart-1क्या अनशन आधारित आंदोलन असंवैधानिक है?


हां: 22 %

नहीं: 78 %



chart-2क्या अन्ना का अनशन संसदीय व्यवस्था को धमकी है?


हां: 29%

नहीं: 71%


आपकी आवाज

अन्ना का अनशन धमकी नहीं, बल्कि संसद को सम्यक दृष्टि रखने की चेतावनी है। -गौरीशंकर1054 @ रीडिफमेल.कॉम


यह अनशन संसदीय व्यवस्था को धमकी नहीं, बल्कि संसद को जनसरोकार से सीधे जुड़े मुद्दों के प्रति सचेत और जागरूक करने का अनुष्ठान है। -रणविजय कुमार [चक्रधरपुर]


यह लोकपाल बिल नहीं, हमारी भावी पीढि़यों की वह आजादी है जिसे आज हम महसूस नहीं कर पा रहे हैं। -योगेंद्र.जी895 @ जीमेल.कॉम


अपना जायज हक लेने के लिए अनशन आधारित आंदोलन वाजिब है। -तय्यब शहीद [छात्र, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी]


21 अगस्त को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “अनशन की ताकत”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

21 अगस्त को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “अनशन का अस्त्र”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

21 अगस्त को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “भूख हड़ताल वाले जननायक”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.

21 अगस्त को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “जनता की अपनी लड़ाई बन चुका है यह संघर्ष”  पढ़ने के लिए क्लिक करें.


साभार : दैनिक जागरण 21 अगस्त  2011 (रविवार)

नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.

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