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11 सितंबर 2001। आतंकी इतिहास की सबसे बर्बर घटना। शायद ही कोई भूल पाए इस दिन हुए वाकए को। आतंकी संगठन अलकायदा ने विश्व के सबसे ताकतवर देश अमेरिका की चूलें हिला दी। लादेन के लड़ाकों ने वर्ल्ड ट्रेड टावर को जमींदोज कर दिया था। उसी दिन से अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है। इसके साथ ही अमेरिका ने अपने देश की सीमाओं को इतना मजबूत कर दिया कि आज कोई आतंकी संगठन उधर आंख उठा कर देखने का दुस्साहस नहीं कर सकता है। इतिहास गवाह है आतंकी हमलों का सबसे ज्यादा भुक्तभोगी भारत है। 11 सितंबर हमले के तुरंत बाद अमेरिका ने आतंकियों के खूनी पंजे से अपने आपको कैसे अभेद्य किले में तब्दील कर लिया जबकि हम अभी तक हर घटना के बाद चेहरा बचाने की रणनीति के तहत कोई कारगर हल ढूंढने में नाकाम रहे हैं। आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए 9/11 के तुरंत बाद अमेरिका द्वारा उठाए गए कदमों पर एक नजर:..
लागू किए गए कानून
* होमलैंड सिक्योरिटी एडवायजरी सिस्टम का गठन।
* वित्तीय वर्ष 2002 से आंतरिक सुरक्षा लिए 10.6 अरब डॉलर का पूरक बजट।
* 9/11 हमले की अन्तरराष्ट्रीय जांच में चार हजार एफबीआइ एजेंटों के साथ तीन हजार सहायक स्टाफ की तैनाती, इतिहास का सबसे बड़ा आपराधिक जांच मामला।
* आठ हजार से ज्यादा एंथ्रैक्स हमलों या अफवाहों पर तुरंत ध्यान दिया गया।
* अमेरिकी पैट्रियाट एक्ट लागू।
* केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर जांच में समन्वय और संचार सुधारने के लिए 56 ज्वाइंट टेररिज्म टास्क फोर्स के साथ करीब 100 एंटी टेररिज्म टास्क फोर्स का गठन।
* आपरेशन ग्रीन क्वेस्ट के तहत आतंकियों को मुहैया कराए जा रहे धन के स्रोत की पहचान कर फ्रीज और समाप्त किया गया।
* आतंकी गतिविधियों की सूचना देने के लिए टोल फ्री हॉटलाइन स्थापित की गई।
* साइबर सिक्योरिटी चाक-चौबंद हुई।
सीमा और पोर्ट सुरक्षा
* देश में आने वाले बी-2 श्रेणी के आगंतुकों के लिए कम से कम छह महीने की तय सीमा उद्देश्य पूर्ण होने में लगने वाले उचित समय में तब्दीली द्वारा आइएनएस रेगुलेशन लागू।
* अमेरिका में पढ़ाई करने वाले विदेशी छात्रों के लिए विशेष स्टूडेंट वीजा अनिवार्य।
* वीजा विस्तार का समय एक साल से छह महीने किया। इसके साथ अतिरिक्त समय रुकने के लिए जरूरी पर्याप्त धन के स्रोत की जानकारी देनी भी आवश्यक बनाई।
* वायु, जमीन और समुद्र के रास्ते प्रवेश पर अलर्ट लेवल एक किया।
* कार्गो कंटेनर के लिए नए और ज्यादा कड़े अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा मानक तैयार किए।
* सीमा पर मदद के लिए 1600 नेशनल गार्ड तैनात किए गए
* राष्ट्रीय स्मारकों और पार्को की सुरक्षा में व्यापक पैमाने पर फेर बदल।
यातायात सिक्योरिटी
* हजारों सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति।
* केंद्रीय एयरमार्शल कार्यक्रम बढ़ाया गया।
* केंद्रीय सुरक्षा निदेशकों के पहले ग्रुप की घोषणा, एयरपोर्ट की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीधे इन अनुभवी अधिकारियों के कंधों पर।
* पैसेंजर बोर्डिग तरीके में बदलाव, विमान चालक और क्रू मेंबर्स को हाइजैकिंग की स्थिति से निपटने की ट्रेनिंग।
* हवाईअड्डो में आने जाने के नियंत्रित स्थान निर्धारित।
विभिन्न हवाईअड्डों पर नौ हजार से ज्यादा राष्ट्रीय गार्ड तैनात।
स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा
* एंथ्रैक्स के विषाणु भरे लिफाफों से हमलों वाले संभावित हजारों लोगों को एंटीबायोटिक दवाएं वितरित की गई।
* एंटीबायोटिक और स्मालपॉक्स के अरबों खुराक वैक्सीन मंगाए गए।
* राज्यों को बायो टेररिज्म से लड़ने की तैयारी के लिए 1.1 अरब डॉलर की राशि मुहैया कराई गई।
* कृषि और खाद्य सुरक्षा पर संभावित हमलों की रोकथाम के लिए तंत्र विकसित।
* राज्यों को जानवरों की बीमारियों से संबधित हमलों से निपटने के लिए 20 लॉख डालर दिए गए।
* उपभोक्ता बाजारों के उत्पादों के निरीक्षण और परीक्षण में सुधार किया गया।
* हमले से प्रभावित परिवारों को लाखों डॉलर वितरित किए गए।
* टॉप टू बॉटम सुरक्षा समीक्षा शुरू।
वातावरणीय और ऊर्जा सुरक्षा
* पीने के पानी और बेस्टवाटर यूटीलिटी कंपनियों को सुरक्षा प्रशिक्षण दिया गया।
* रसायन और पेस्टीसाइड निर्माता निजी कंपनियों को सुरक्षा मार्गदर्शन दिया गया।
* बांधों, जलाशयों और पॉवर प्लांटों पर दिन-रात 24 घंटे सुरक्षा इंतजाम।
* न्यूक्लियर पावर प्लांटों को उच्चतम स्तर की सुरक्षा
नागरिक भागीदारी
* सेवानिवृत्त मेडिकल कर्मियों की मेडिकल रिजर्व कॉर्प्स का गठन।
* लाखों अमेरिकी यातायात कर्मियों, डाक कर्मियों और पब्लिक यूटीलिटी कर्मियों के सहयोग से संदिग्ध गतिविधियों की पहचान कर सूचना देने की जिम्मेदारी। जिसका नाम आपरेशन टिप्स (टेररिस्ट इंफार्मेशन एंड प्रीवेंशन सिस्टम) रखा गया।
* कम्युनिटी इमरजेंसी रिस्पांस टीमों का गठन।
* नेबरहुड वाच कार्यक्रम को बढ़ाया गया।
* पैट्रियट रेडीनेस सेंटर के तहत 15,000 सेवानिवृत्त केंद्रीय कर्मियों को सक्रिय सेवा में वापस बुलाया गया।
24 जुलाई को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “सबकी सुरक्षा का सवाल!” पढ़ने के लिए क्लिक करें.
साभार : दैनिक जागरण 24 जुलाई 2011 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.
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