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भूमि अधिग्रहण को लेकर प्रदेशों में प्रावधान

मुद्दा
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जम्मू कश्मीर


*भूमि अधिग्रहण के लिए जम्मू कश्मीर भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1990 लागू है। इस कानून के तहत सार्वजनिक कार्यों, मौलिक अवसंरचना जुटाने और विकास योजनाओं के लिए सरकार किसी भी जमीन को अधिग्रहीत कर सकती है.

* अधिग्रहित जमीन का संबधित भूमालिकों को बाजार भाव के मुताबिक ही  नकद मुआवजा उस तिथि के अनुरूप दिया जाता है,जब उसका अधिग्रहण किया गया हो। रेलवे के लिए अधिग्रहीत जमीन में नकद मुआवजे के अलावा ऐसे प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को नौकरी का प्रावधान भी है, जिसकी कुल जमीन का 70 प्रतिशत अधिग्रहित किया गया हो। बंजर जमीन को भी अधिग्रहित किए जाने पर सरकार उसका बाजार भाव के मुताबिक ही मुआवजा देने को बाध्य है, बेशक जमीन में कुछ न उगता हो.


Land Acquisition Actबिहार

*बिहार भू-अर्जन पुन:स्थापन एवं पुनर्वास नीति 2007 के अनुसार अर्जित की जाने वाली भूमि का मूल्य निर्धारण अधिसूचना के तुरंत पहले समरूप भूमि के निबंधन मूल्य में 50 फीसदी जोड़कर तय किया जाता है.
*इस तरह निर्धारित मूल्य पर 30 फीसदी सोलेशियम देकर भू-अर्जन किया जायेगा। लेकिन जहां भू-धारी स्वेच्छा से भूमि देना चाहेंगे, उस स्थिति में सोलेशियम की दर 60 प्रतिशत होगी।

*भू-अर्जन की प्रक्रिया के अन्तर्गत यदि किसी भू-धारी का आवास या आवासीय भूमि अधिग्रहित की जाती है तो आवासीय भूमि का जितना रकबा है, उतनी ही भूमि (अधिकतम 5 डिसमिल) अधिग्रहीत कर उस व्यक्ति को दी जायेगी। इसके साथ ही अस्थायी आवास के लिए दस हजार रुपये, आवासीय सामग्री के परिवहन के लिए पांच हजार रुपये दिये जाने का प्रावधान है.

*यदि कोई कृषक मजदूर जिस कृषि योग्य भूमि पर तीन वर्षों से कार्य करता है और उस भूमि के अधिग्रहण से वह बेरोजगार हो गया है, तो उस व्यक्ति को 200 दिनों का निर्धारित न्यूनतम मजदूरी का एकमुश्त भुगतान व रोजगार गारंटी योजना के तहत जॉब कार्ड मिलेगा.

*औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बिहार कृषि भूमि (गैर कृषि प्रयोजनों के लिए सम्परिवर्तन) नियमावली 2011 में कृषि योग्य भूमि का स्वरूप बदले का प्रावधान किया गया है.


उत्तर प्रदेश


* भूमि अधिग्रहण कानून 1894 के तहत जमीन का अधिग्रहण.
* निजी क्षेत्र करार नियमावली के तहत समझौते के आधार पर जमीन लेंगे.
* निजी कंपनी और किसानों को आमने-सामने बैठकर बात करनी होगी .
* किसानों को प्रतिकर के अलावा 33 साल तक प्रतिवर्ष 20 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से वार्षिकी मिलेगी.
* हर वर्ष मिलने वाली धनराशि में 600 रुपए प्रति एकड़ की दर से बढ़ोत्तरी.
* वार्षिकी न लेने वाले किसानों को दो लाख 40 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से पुनर्वास अनुदान का विकल्प.
* कंपनी के लिए भूमि अधिग्रहण होने पर प्रभावित किसान को जमीन के मूल्य की 25 प्रतिशत धनराशि के बराबर शेयर प्राप्त करने का विकल्प.
* आवास के लिए आवंटित भूखंड न्यूनतम क्षेत्रफल 120 वर्गमीटर होगा जबकि अधिकतम एरिया प्राधिकरण निर्धारित करेगा.
* अधिग्रहीत भूमि पर बनने वाली आवासीय परियोजनाओं में किसानों को भूखंड़ों के आवंटन में 17.5 प्रतिशत आरक्षण.


उत्तराखंड


*केंद्र सरकार के भूमि अधिग्र्रहण कानून 1894 को ही राज्य में लागू किया गया है।
*प्रोजेक्ट आधारित विस्थापन के लिए भारत सरकार की पुनर्वास नीति लागू


22 मई को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “यह किसकी जमीन है?” पढ़ने के लिए क्लिक करें

22 मई को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “जमीन की जंग” पढ़ने के लिए क्लिक करें

22 मई को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “इस विकास के गंभीर नतीजे!” पढ़ने के लिए क्लिक करें

22 मई को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “खाद्य सुरक्षा भी अहम मसला” पढ़ने के लिए क्लिक करें

22 मई को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “मौजूदा भूमि अधिग्रहण कानून” पढ़ने के लिए क्लिक करें

22 मई को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “माटी का मोह” पढ़ने के लिए क्लिक करें

22 मई को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “जनमत – भूमि अधिग्रहण कानून” पढ़ने के लिए क्लिक करें


साभार : दैनिक जागरण 22 मई 2011 (रविवार)

नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.

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