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जनमत – जल संकट

मुद्दा
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क्या खतरनाक स्तिथि तक पहुंच चुके जल संकट के लिए कहीं न कहीं हम लोग भी जिम्मेदार हैं?

हां – 94%
नहीं – 6%

क्या जन जागरुकता से जल समस्या का समाधान किया जा सकता है?

हां – 93%
नहीं – 7%

आप की आवाज़

देश में हर बात पर हल्ला है, लेकिन पानी और प्रकृति पर किसी का ध्यान नहीं है. – मु.सोहेल (इलाहाबाद)

पानी के बेतहासा दोहन ने मानव अस्तित्व को समाप्त करना शुरू कर दिया है. अब जल संरक्षण ही इलाज है. – संतोष कुमार (कानपूर)

24 अप्रैल को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “मर रहा है आंखों का पानी” पढ़ने के लिए क्लिक करें

24 अप्रैल को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “बाढ़-सूखे का इलाज है पाल-ताल-झाल” पढ़ने के लिए क्लिक करें

24 अप्रैल को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “सिमट-सिमट जल भरहिं तलावा” पढ़ने के लिए क्लिक करें

24 अप्रैल को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “बिन पानी सब सून” पढ़ने के लिए क्लिक करें

साभार : दैनिक जागरण 24 अप्रैल 2011 (रविवार)
नोट – मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.

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