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खास है जन लोकपाल विधेयक

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• अध्यक्ष समेत दस सदस्यों वाली एक लोकपाल संस्था होनी चाहिए.
• भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने वाली सीबीआइ के हिस्से को इस लोकपाल में शामिल कर दिया जाना चाहिए.
• सीवीसी और विभिन्न विभागों में कार्यरत विजिलेंस विंग्स का लोकपाल में विलय कर दिया जाना चाहिए.
• लोकपाल सरकार से एकदम स्वतंत्र होगा.
• नौकरशाह, राजनेता और जजों पर इनका अधिकार क्षेत्र होगा.
• बगैर किसी एजेंसी की अनुमति के ही कोई जांच शुरू करने का इसे अधिकार होगा.
• जनता को प्रमुख रूप से सरकारी कार्यालयों में रिश्वत मांगने की समस्या से गुजरना पड़ता है। लोकपाल एक.
• अपीलीय प्राधिकरण और निरीक्षक निकाय के तौर पर केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों में कार्रवाई कर सकेगा.
• विसलब्लोअर को संरक्षण प्रदान करेगा.
• लोकपाल के सदस्यों और अध्यक्ष का चुनाव पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए.
• लोकपाल के किसी अधिकारी के खिलाफ यदि कोई शिकायत होती है तो उसकी जांच पारदर्शी तरीके से एक महीने की भीतर होनी चाहिए.

 

जन लोकपाल की खूबियां और सरकारी प्रारूप में खामियां

 

विषय: राजनेता, नौकरशाह और न्यायपालिका पर अधिकार क्षेत्र
सरकारी विधेयक: सीवीसी का अधिकार क्षेत्र नौकरशाहों और लोकपाल का राजनेताओं
पर। न्यायपालिका पर कोई कानून नहीं
जन लोकपाल: राजनेता, नौकरशाह व न्यायपालिका दायरे में
क्यों?: भ्रष्टाचार राजनेता और नौकरशाहों की मिलीभगत से ही होता है। ऐसे में सीवीसी और लोकपाल को अलग अधिकार क्षेत्र देने से इन मामलों को व्यवहारिक दृष्टि से निपटाने में दिक्कतें पेश आएंगी। यदि किसी केस में दोनों संस्थाओं के अलग निष्कर्ष निकलते हैं तो कोर्ट में आरोपी के बचने की आशंका ज्यादा होगी.

विषय: लोकपाल की शक्तियां
सरकारी विधेयक: सलाहकारी निकाय होना चाहिए
जन लोकपाल: किसी की अनुमति के बगैर ही जांच प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार होना चाहिए
क्यों?: सलाहकारी भूमिका में यह सीवीसी की तरह अप्रभावी होगा.

विषय: विसलब्लोअर संरक्षण
सरकारी विधेयक: इनकी सुरक्षा के लिए सरकार ने हाल में एक बिल पेश किया है जिसमें सीवीसी को सुरक्षा का उत्तरदायित्व दिया गया है.
जन लोकपाल: सीधे तौर पर इनकी सुरक्षा का प्रावधान
क्यों?: सीवीसी के पास न तो शक्तियां हैं और न ही संसाधन, जो विसलब्लोअर की सुरक्षा करे.

विषय: लोकपाल का चयन और नियुक्ति
सरकारी विधेयक: प्रमुख रूप से सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों से बनी एक कमेटी द्वारा इनका चयन जन लोकपाल: गैर राजनीतिक व्यक्तियों की एक कमेटी द्वारा चयन
क्यों?: कोई भी राजनीतिक पार्टी हो, वह सशक्त और स्वतंत्र लोकपाल नहीं चाहती

विषय: लोकपाल की पारदर्शिता और जवाबदेही
सरकारी विधेयक: कोई प्रावधान नहीं
जन लोकपाल: कार्यप्रणाली पारदर्शी हो। किसी लोकपाल कर्मचारी के खिलाफ शिकयत का निस्तारण एक महीने के भीतर होना चाहिए और दोषी पाए जाने पर उसको बर्खास्त किया जाना चाहिए.

विषय: भ्रष्टाचार मामलों में सरकार को हुए धन की क्षतिपूर्ति
सरकारी विधेयक: कोई प्रावधान नहीं
जन लोकपाल: भ्रष्टाचार के कारण सरकार की हुई किसी भी मात्रा की आर्थिक क्षति का आकलन ट्रायल कोर्ट करेगी और इसकी वसूली दोषियों से की जाएगी.

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03 अप्रैल को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “भ्रष्टाचार हटाने में लोकपाल की भूमिका” पढ़ने के लिए क्लिक करें.

साभार : दैनिक जागरण 03 अप्रैल 2011 (रविवार)
मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.

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