Menu
blogid : 4582 postid : 241

हम हिंदू हैं, कहां जाएं, वहां हालात ठीक नहीं

मुद्दा
मुद्दा
  • 442 Posts
  • 263 Comments

DSCहम हिंदू हैं, पाकिस्तान के हालात किसी से छिपे नहीं हैं, आखिर हम कहां जाएं! मैं अपने परिवार को जानबूझकर खतरे में तो नहीं डाल सकता। शून्य में ताकते हुए पाकिस्तान के पूर्व विधायक रामसिंह सोधो के यह उद्गार पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की पोल खोल देते हैं । सोधो का परिवार सिंध से पलायन कर पिछले कुछ माह से गुजरात के कच्छ- भुज में शरण लिए हुए है।

बकौल सोधो – पाकिस्तान में उदारवाद के पैरोकार सिंध के राज्यपाल सलमान तासीर तथा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शहबाज भट्टी की कट्टरपंथियों द्वारा खुलेआम हत्या के बाद वहां रह रहे गैरइस्लामी परिवार किस अज्ञात भय के साथ जीवन बिता रहे होंगे इसका अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है। ऐसे हालात में परिवार को सिंध में रखने का जोखिम नहीं उठा सकता था। हालांकि सिंध अन्य प्रांतों की तुलना में शांत है लेकिन धार्मिक आतंकवाद अब वहां भी पैर पसार रहा है।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) के बैनर पर सिंध की मिठी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे रामसिंह सोधो उन चंद खुशकिस्मत परिवारों में से हैं जो आजादी के छह दशक बाद भी सुरक्षित भारत वापसी कर पाए हैं। सोधो के चचेरे भाई अरबाब गुलाम रहीम सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री रह चुके हैं तथा उनका पुत्र गुमानसिंह सोधो सिंध के ही थारपारकर से जिला परिषद का सदस्य रह चुका है। इनके पिता जालम सिंह व भाई मूलसिंह वर्ष 1971 में भारत व पाकिस्तान के युद्ध के बाद ही सिंध से पलायन कर कच्छ में आकर बस गए थे। यह परिवार खेती कर अपना गुजर बसर कर रहा है। करीब तीन माह पहले सिंध विधानसभा से इस्तीफा देकर बिना किसी औपचारिक घोषणा के रामसिंह सोधो भी कच्छ-भुज के नखत्राणा कस्बे में आकर रह रहे हैं। हालांकि इस परिवार के कुछ सदस्य वर्ष 2000 में ही यहां बसना शुरू हो गए थे। बदकिस्मती ने यहां भी इनका पीछा नहीं छोड़ा। जनवरी 2001 में गुजरात में आए विनाशकारी भूकंप में इनके पुत्र दिलीप सिंह की मौत हो गई थी। रामसिंह सोधो अपने पलायन व पाकिस्तान के जमीनी हालात पर चर्चा करने को जल्दी से तैयार नहीं होते हैं वे कहते हैं, हम हिन्दू हैं बेघर हैं आखिर कहां जाएं। बेघर हूं, लंबे समय से बेकार हूं एक छोटे से कस्बे में शरण लिए हूं लेकिन यहां भारत में अपने सुरक्षित भविष्य की उम्मीद तो करता हूं।

13 मार्च को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “दरकता पाकिस्तान” पढ़ने के लिए क्लिक करें.

13 मार्च को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “विफल राष्ट्र बनने की ओर” पढ़ने के लिए क्लिक करें.

13 मार्च को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “एक पहलू यह भी…” पढ़ने के लिए क्लिक करें.

13 मार्च को प्रकाशित मुद्दा से संबद्ध आलेख “पाकिस्तान में अल्पसंख्यक सुरक्षा मसला” पढ़ने के लिए क्लिक करें.

साभार : दैनिक जागरण 13 मार्च 2011 (रविवार)
मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh