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जैस्मिन की फैलती खुशबू

मुद्दा
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ट्यूनीशिया

Tunisia-protestशासक: अंतरिम सरकार
सत्ता में: जनवरी 2011 से
समस्या: गरीबी, बेरोजगारी
समुदाय: 98 फीसदी मुस्लिम
ताजा स्थिति: बदलाव का दौर

इस साल जनवरी के अंत में राष्ट्रपति जिने अल अबीदीन बेन अली को पद से हटाए जाने के बाद गठित अंतरिम सरकार को कानून व्यवस्था लागू करने में मशक्कत करनी पड़ रही है। इस देश के राष्ट्रपति सत्ता को अपदस्थ करने में प्रमुख योगदान राचिड घानौची का रहा। इससे पहले निर्वसन में रह रहे घानौची ट्यूनीशिया के सबसे बड़े इस्लामिक आंदोलन के नेता हैं और हाल ही में स्वदेश लौटे हैं। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने राजधानी ट्यूनिश में सरकारी महल को घेर रखा है। ये लोग प्रधानमंत्री मुहम्मद घानौची के नेतृत्व में चलायी जा रही अस्थायी सरकार को हटाने की मांग कर रहे हैं।

पूर्व राष्ट्रपति: जैस्मिन क्रांति के चलते सबसे पहले सत्ता से अपदस्थ होने वाले ट्यूनीशिया के पूर्व राष्ट्रपति जिने अल अबीदीन बेन अली का सउदी अरब के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। सत्ता से पदच्युत होने के बाद से ही वे कोमा में हैं। ट्यूनीशिया ने सउदी सरकार से उनके प्रत्यर्पण की मांग की है जिससे देश में उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके।

 

अल्जीरिया

algeriaशासक: अब्दुल अजीज बॉटफ्लिका (सुन्नी)
सत्ता में: 1999 से
राजनीतिक प्रणाली: सेना समर्थित एकदलीय शासन
समुदाय: 99 फीसदी सुन्नी मुस्लिम
समस्याएं: लोकतंत्र का अभाव, बेरोजगारी, गरीबी, भ्रष्टाचार, स्वतंत्र मीडिया का अभाव
ताजा स्थिति: तनावपूर्ण

19 फरवरी को लोकतंत्र के समर्थन में मई एक स्क्वायर पर किये गए प्रदर्शन में पुलिस ने लोगों पर लाठियां बरसायीं। हिंसक झड़प में अल्जीरियाई मानवाधिकार लीग के प्रमुख मुस्तफा बाउचाची को भी चोटें आईं। पूरे देश में पिछले महीने से ही हड़तालों का दौर चालू है। हर शनिवार को यहां सुधारों के समर्थन में रैलियों का आयोजन किया जा रहा है।

राष्ट्रपति: सेना के समर्थन से 1999 में अब्दुल अजीज बॉटफ्लिका का पहले राष्ट्रपति के रूप में चुनाव किया गया। गौरतलब है कि इन्होंने देश की आजादी के लिए फ्रांस से हुई जंग में प्रमुख भूमिका निभाई थी। पदग्र्रहण के बाद इन्होंने इस्लामिक चरमपंथियों के विद्रोह को कुचलने के लिए 1992 में लगाए गए आपातकाल को हटा दिया है। विद्रोह की इस आग में अब तक दो लाख लोग मारे जा चुके हैं। राष्ट्रपति ने चेतावनी दी है कि आपातकाल हटने के बाद भी अल्जायर्स में धरना-प्रदर्शनों पर प्रतिबंध जारी रहेगा। इसके अलावा जनता के रोष को कम करने के लिए उन्होंने रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए नए उपायों को अपनाने की भी बात कही है। सरकारी रेडियो और टेलीविजन पर सभी राजनीतिकों दलों के लिए एयरटाइम के आवंटन की भी पेशकश की है

 

लीबिया

Libya Protestशासक: मुअम्मर गद्दाफी
सत्ता में: 1969 से
राजनीतिक प्रणाली: तानाशाही
समुदाय: 97 फीसदी-सुन्नी मुस्लिम, अन्य- 3 फीसदी
समस्याएं: बेरोजगारी, लोकतंत्र का अभाव, स्वतंत्र मीडिया का अभाव
ताजा स्थिति: तनावपूर्ण

देश में प्रदर्शन का दायरा दिनोंदिन बढ़ रहा है। गद्दाफी भले ही सत्ता न छोड़ने की धमकी दे रहे हों लेकिन एक एककर टूटते सहयोगी से वे कमजोर हो रहे हैं। उनका छोटा बेटा भी लोकतंत्र समर्थकों के साथ हो गया है। लोकतंत्र समर्थकों और गद्दाफी के किराए के सैनिकों के बीच जंग जारी है।

तानाशाह: कभी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने मुअम्मर गद्दाफी को ‘पागल कुत्ता’ कहा था लेकिन हाल के साल में लीबिया की अकूत तेल संपदा और वहां निवेश के मौकों को देखते हुए पश्चिमी देश इस तानाशाह को लुभाने का कोई मौका नहीं खोने देते। किंग इदरीश प्रथम का रक्तहीन तख्तापलट करके 27 साल के गद्दाफी 1969 में देश के मुखिया बने थे। वह अफ्रीका और अरब जगत में सबसे लंबे समय से शासन करने वाले नेता हैं।

 

सूडान

sudanशासक: उमर अल बशीर (सुन्नी)
सत्ता में: 1989 से
समुदाय: 70 फीसदी सुन्नी मुस्लिम
समस्याएं: गृह युद्ध, मानवाधिकार उल्लंघन
राजनीतिक प्रणाली: एक दलीय
ताजा स्थिति: दो राष्ट्रों में बंटने के कगार पर

पिछले महीने पूरे देश में युवाओं ने फेसबुक व अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स की मदद से सत्ता विरोधी अभियान को धार दी। कई प्रदर्शनकारी पकड़े गए लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।

राष्ट्रपति: 1989 में तख्तापलट के बाद उमर हसन अल बशीर ने राष्ट्रपति के रूप में देश की बागडोर संभाली।

 

सऊदी अरब

saudi arabशासक: शाही परिवार (सुन्नी)
सत्ता में: 1931 से
समस्याएं: राजनीतिक दलों का अभाव, सीमित महिला अधिकार, स्वतंत्र मीडिया का अभाव
समुदाय: 85-90 फीसदी सुन्नी, 10-15 फीसदी शिया
ताजा स्थिति: तनावपूर्ण
राजनीतिक प्रणाली: पूर्ण राजशाही

ट्यूनीशिया के अपदस्थ राष्ट्रपति जिने अल अबीदीन बेन अली हाथ से सत्ता निकलते ही सउदी अरब में शरण लिए हुए हैं। हालांकि यहां पर अभी ऐसा प्रदर्शन नहीं किया जा रहा है लेकिन अकूत तेल संपदा का धनी यह देश इस बात से जरूर चिंतित है कि पड़ोसी देश बहरीन की स्थिति से सीमा के क्षेत्रों में तनाव हो सकता है। किंग अब्दुल्ला का स्वास्थ्य भी साथ नहीं दे रहा है।

 

इराक

iraqशासक: जलाल तालाबानी (शिया)
सत्ता में: 2005 से
राजनीतिक प्रणाली: बहुदलीय लोकतंत्र
समस्याएं: आतंकवाद, जन संघर्ष, गरीबी
ताजा स्थिति: स्थिर
समुदाय: 32-37 फीसदी सुन्नी, 60-65 फीसदी शिया

25 फरवरी को बड़े प्रदर्शन का आयोजन किया गया। बेरोजगारी, सरकारी भ्रष्टाचार और लचर सेवा के विरोध में देश के कई शहरों में छिटपुट प्रदर्शनों का दौर जारी है। कहीं कहीं पर सुरक्षा बलों के साथ हिंसा की घटनाएं भी हुईं।

 

मोरक्को

morocco-protestशासक: मुहम्मद षष्ठम (सुन्नी)
सत्ता में: 1999 से
राजनीतिक प्रणाली: संवैधानिक राजशाही
समस्याएं: गरीबी, निरक्षरता, अतिवादिता
समुदाय: 99 फीसदी सुन्नी
ताजा स्थिति: शांतिपूर्ण

57 शहरों और कस्बों में करीब चालीस हजार प्रदर्शनकारी उतर चुके हैं। छिटपुट हिंसात्मक घटनाएं जारी हैं।

शाह: 1999 में ताज संभालने के बाद 47 साल के किंग मुहम्मद षष्ठम ने दुनिया के सामने एक उदार चेहरा पेश किया है। हालांकि इससे प्रदर्शनकारियों की पूर्ण लोकतंत्र की मांग पर विराम नहीं लगा है।

 

सीरिया

Syria_Protest_APशासक: बशर अल असद (अलावी शिया)
सत्ता में: 2001 से
राजनीतिक प्रणाली: एक दलीय शासन
समस्याएं: लोकतंत्र का अभाव
समुदाय: 74 फीसदी सुन्नी
ताजा स्थिति: तनावपूर्ण

अपेक्षाकृत लोकप्रिय राष्ट्रपति और दूरगामी सुरक्षा एजेंसियों के चलते व्यापक विरोध की संभावना कम है। हालांकि क्षेत्र की हलचल से चिंतित सरकार ने राजनीतिक सुधार करने और सोशल नेटवर्किंग साइटों से प्रतिबंध हटाने का भरोसा दिलाया है।

राष्ट्रपति: अमेरिका विरोधी नीति और इजरायल के साथ मिस्र के टकराव ने सत्ता को अवाम से बेहद करीब से जोड़ा है। 1982 में बशर अल असद के पिता हाफिज अल असद को मुस्लिम ब्रदरहुड बगावत को कुचलने के लिए हथियारों का सहारा लेना पड़ा था।

 

यमन

yemen-protestsशासक: अली अब्दुल्ला सालेह (शिया)
सत्ता में: 1978 से
राजनीतिक प्रणाली: संघीय लोकतंत्र
समस्याएं: गरीबी, आतंकवाद, बेरोजगारी
समुदाय: 52 फीसदी सुन्नी, 46 फीसदी शिया
ताजा स्थिति: अशांति

हजारों की संख्या में सड़कों पर उतर चुके लोग राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। हालांकि राष्ट्रपति ने इस मांग को खारिज कर दिया है लेकिन प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने का आश्वासन दिया है।

राष्ट्रपति: तीन दशकों से सत्ता पर काबिज राष्ट्रपति को जनता के रोष के आगे अपने कार्यकाल को 2013 से आगे न बढ़ाने की घोषणा करने को बाध्य होना पड़ा है।

 

मिस्र

egyptशासक: सैन्य परिषद
सत्ता में: फरवरी 2011
समस्याएं: बेरोजगारी, गरीबी, मीडिया को स्वतंत्रता नहीं
समुदाय: 90-94 फीसदी सुन्नी
ताजा स्थिति: 11 फरवरी को मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के इस्तीफे के बाद मिस्नवासियों को फिर से प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ा। अब लंबे समय से स्थिर वेतन और खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि को लेकर बैंकिंग, तेल और यातायात क्षेत्रों में काम कर रहे लोग हड़ताल पर हैं।

पूर्व राष्ट्रपति: 30 साल से बतौर देश के मुखिया बने रहने वाले होस्नी मुबारक की अन्तत: विदाई हुई। 11 फरवरी को उप राष्ट्रपति उमर सुलेमान द्वारा सैन्य परिषद को सत्ता हस्तांतरण किए जाने की घोषणा होस्नी के ताबूत में अंतिम कील थी।

 

जॉर्डन

jordanशासक: किंग अब्दुल्ला द्वितीय (सुन्नी)
सत्ता में: 1999 से
राजनीतिक प्रणाली: संवैधानिक राजशाही
समस्याएं: कुप्रशासन
समुदाय: 92 फीसदी सुन्नी
ताजा स्थिति: अशांति

किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने देश के अलोकप्रिय प्रधानमंत्री सामीर रिफाइ को हटाकर अवाम के गुस्से की भरपाई करने की कोशिश की है। इनकी जगह पूर्व सैन्य जनरल मारुफ अल बाखित को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया है। इसके अलावा जनता के जमावड़े पर लगी रोक की भी हटा ली गई है।

 

ईरान

iranसर्वोच्च नेता: अयातुल्ला अल खामनेई (1989 से) (शिया)
राष्ट्रपति: महमूद अहमदीनेजाद
सत्ता में: 2005 से
राजनीतिक प्रणाली: इस्लामिक गणराज्य
समस्याएं: महंगाई, बेरोजगारी, सुधारों का अभाव
समुदाय: 10 फीसदी सुन्नी, 89 फीसदी शिया
ताजा स्थिति: मिस्र और ट्यूनीशिया की बगावत से प्रेरित होकर हाल ही में राजधानी तेहरान में प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा हुआ। इससे विपक्षी दलों को एक साल में पहली बार सरकार विरोधी प्रदर्शन को बल मिला।


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साभार : दैनिक जागरण 27 फरवरी 2011 (रविवार)
मुद्दा से संबद्ध आलेख दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में हर रविवार को प्रकाशित किए जाते हैं.

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